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२४७ हौं उहकै उहँ चित मोरें । काह कँवरू होई रोयें तोरे ॥३ इँह विधि देखि देसन्तर लीन्हों। काह कहों अनऊतर दीन्हों॥४ तुम तज हम जाइह परदेसू । मै देसुकीन्हि पुरुसकर भेमू ॥५ हो सो महर धिय चोंदा", चहूँ भुपन उजियार ॥६ कौन अजोग संघ किया", कुँवरू भाइ तुम्हार ॥७ पाठान्तर--बम्बई और मनेर प्रतियो- शीर्षक-(२०) जवाब दादने चॉद अज कुँवर [v] ! (चॉदका काका उत्तर) (म०) गुफ्तने चॉद कुँवरू रा जवार (चॉदका कुँवरको जवाब)। दोनों ही प्रतियों म पक्ति ४ और प्रमश ५ और ४ है। १- (०, म०) मुनु कँवरू । 2-(२०) पद (म०) यहि । ३~- (16) जिय । ४-(२०, म०) छाइउँ। ५--(१०) दोह दस भये रह लोग पठाऊ (म०) दोइ दस होइन पार पाऊ । ६ (१०) हो उँहकै उह चित सह (म०) हो उह उह जिय पसि । ७-(10) रोये, (म०) होर पॅररू गेये। 1-(२०) इह विध देस देस तर रे, (म.) लेॐ । ९--(१०) परो । १०-(१०, म०) क्स ऊतर दे। ११-(व.) हम नज (१) जार परदेसू , (म०) तुम तज जायर परदेसू । १२-(५०) लीह। १३--(10) ही मही 2 घिय सो चाँदा, (म.) हौ महरै के धिय चॉदा । १४---(१०) कौन अजोग सग मिल (म०) होर लाग चित गाँध भयउँ। टिप्पी -(१) मोर-मेरा । राता-बानुरक्त । (३) उहकै-उसमा ही । उँह-यह । (५) जाइह-जारही हूँ। (७) अनोग--अयोग्य | सप-उग, साथ । २९७ (रीलैण्ड्स २३२ मनेर १४९७) जवार दादने रस या एहानते चाँदा र (कंघरूका चाँदकी भमना करना) अस चॉदा तुम लाज गँवाई । सरग हती भुड़ें उतरी' आई ॥१ (मुस कारी मरि) फिरसि कुंवारी। पास पास होर्ड अॅधियारी ॥२ रहु न चॉदै मनहि लजाई । अम को न होइगवन के जाई ॥३