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२३६ २७३ (रोटेण्ड्स २१०) वाज गुजरत्ने नैना अज तानाना सूरे सानपे हद (मैन का मन्दिरमे अपने घर बाना) चड़ी पालकी मैंना नारो । विहँति कुँवरि सब जोबनवारी ॥१ फोऊ आनि पूछि जैन सखि आई । जे सब गोहन देउघर गई ॥२ रहँहिं चाँद कर पानि उतारा । हम सँह नारिह छिनार रितारा ॥३ हसि हँसि यानि अदाकर कहा है । मिलई नहेलिन इद कराहैं ॥४ पानि उतारि मनि मुख लाई । नो मति मुख मैं घोड़न जाई ॥५ झमकत आइ पालकी, सुख नो मन्दिर पईठ ।६ गयी सहेली घर घर, मैंना मेज बईठ ॥७ २७४ (रिग्ड्स २.८) पुरसोदने खोलिन मैंना रा रिपते बुदवाना (मैंनसे सौलिनका मन्दिरको पात उना) 'खोलिन पूछहि कहु धनि मैंनौं । देउ वारि कत पायहु वनों ॥१ हो तुम पूजइ देउ पटाई । और पाछे तिह चाँदा आई र हम जाना यह सखी तुम्हारी । ऊबर यहाज करत धमारी ॥३ योर बहुत जैन कुछ परते । आज नो चाँदा के करतेउँ ॥४ ई सर तोरक के अपकारा । बाजी तोनों देउ दुआरा ॥५ भल भयउँ तजियाउ, चाँद नहत्तर आइ १६ नाँक ततंक के छेदतेउँ, लेतेउँ चीर छिनाइ ॥७