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-- ~OS २२७ २५८ (रीलैण्ड्स २०५) जवाब दादने चाँदा मर मैंना रा (मैनाको चाँदका उत्तर) देखहु चाँगर कर हिठाई । अइसो बूझत बात सगाई ॥१ मैं तिहकों का अजकर कहा । अइस कहत को ऊतर सहा ॥२ जस आपन तस औरहिं जानै । जस छिनार तस मो क बखान॥३ पुरुख छिनार गर को लेयी। बात कहत अस ऊतर देयी ॥४ ते का देस हों पियावारी । चितसंखाय मॅहि दीन्हे गारी ॥५ तूं बितार कुछ छुटन, देस घर लै लै जासि ।६ घर घर खाल बिलोयसि, खोर खोर चिल्लासि ॥७ (रीलेण्ड्स २०६ ; बम्बई २०) जवाब दादने मैना मर चाँदा रा (चाँदको मैनाका जवाब ) आन होइ डर कहें मर जाई । चाँद [न]अछयो मनहि लजाई॥१ हाथहिं मोर बियाहा लीजइ । औ महें सें तै ऊतर कीजइ ॥२ यह सो कहै नॉव मसवासी । जो परपुरुख न छाडै पासी ॥३ आप करावह महि डर लावइ । औ बिसेखे गवाँ धावई' ४ यह अपसान कहआछइ गोवा । इटै पास चैस फिर रोवा ॥५ बात परै हॅस चॉदा, चहूँ भुवन उजियार ।६ देउ लोग सब जाने, गिरह देवाई कारें ॥७ पाठान्तर-बभई प्रति- शोक-मुकाशिपा गुफ्तने मैना दर चाँदा रा व पहा गुफ्तने का वा तरक रा (मैनामा चाँदके प्रति अपने हृदगत् भाव प्राट फरना और लोरको साथ प्रेम करनेको भर्त्सना करना)।