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रैन चौसण्डी चढिह विरारी । लै ऊँदर घुस गा बिछारी ॥२ ऊपर परी तोह में जागा | नसथन लाग चीर फुनिभागा ॥३ तोह हु मोर नीद उड़ानी । इत फुनि जागत रैन बिहानी ॥४ हाथ पॉउ मैं सर न सॅभारा । फिरी मॉग सीस औ वारा ॥५ सिंह गुन नैन रात मोर, मुस फेंफर कुंबलान ६ अइस रात मॅह दूभर, मॅदिर न कोऊ जान ॥७ टिप्पणी-(२) बिरारी-बिलारी, बिल्ली । ऊँदर-(स० उन्दुर)—चूहा । विद्यारी- पिछीना। (३) थन--स्तन । २२९ (रोलैण्ड्स १७९) रपतने बिरम्पत बर महरि व कैफियते गिरिया उफ्तादन बाज नमूदन (बिरस्पतका महरिको चाँदके डर जानेकी सूचना देना) जाइ बिरस्पत महरि जुहारी । कइ जुहारि फुनि बात उभारी ॥२ रैन डरानी चॉद दुलारी । बिसवें ऊपर परी मझारी ॥२ चीर फाट मुरा गा कुंभलाई । चॉद चितहि मॅह बहुतलजाई ॥३ चेरी सोई मा अँधियारा । जागत चॉद भयउ भिनसारा ॥४ अन न रूच औ भाउ न पानी । फूल घाम जस चॉद सुसानी ॥५ चला महरि कुछ देसउ, औ कुछ धरहु ऊतारि ।६ सोवत जैस झरकी, अस भई चाँदा नारि ॥७ टिप्पणी-(२) विसवै-रिस्तर । मझारी (स० मार्जारी)-बिल्ली । (४) भिनसारा-प्रात काल | २३० (रीलैण्ड्स १८०) आमदने मादरो पिदरे य दर साख्तन चाँदा खुद रा (चाँदके माता पिताका माना • चाँदका सोने का बहाना करना) माता पिता लोग जन आना । कुँवारि चॉदहि मुस डरसावा ॥१ एक अपुहि अस अगरग लायसु । औ तिह ऊपर सुरुज लुकायसु ॥२