१६६ साउज दीस न अपरा, अनैं सै धर आइ ।६ जाँक्त पंखि सॅकोले, कही (चिरंत) सब गाइ॥७ मूलपाठ-(८) वरारे । (७) मरस (नुक्तोंके अभावमें यह पाठ है)। टिप्पणी-(२) रोझ (स० ऋश्य>प्रा. रोझ)-नीलगाय । धीतर- चीतल, एक प्रकारका मृग । झास-साँभर । (३) गौन-एक प्रकारका बारहसिहा, जिसे गोंद भी कहते हैं। पुछारी- मोर । लोखरा (लोसडा) लोमड़ी (लोमडी खाद्य है, यह संदिग्ध है)। ससा-शाशक, खरगोश । वकना (लम्यण)-लम्बे कान वाला खरगोश । खर-चोखा, शुद्ध, पूग पूरा । (५) साउज-(स० श्यापद> साउन्ज>साउज)-जगली जानवर । धनइल (पनेल)-जगली ! यहाँ सूअरसे अभिप्राय है । (६) दीस-दिखाई पडा । भरा-दुल । भने-अनेक | १५३ (अप्राप्य) १५४ (रीलैण्ड्स :१२) सिफ्ते जानवरान दर ज्याफ्ते महर (पक्षियोंका धर्णन) पटेर वीतर लाया धरे । गुडरू कँवाँ सचियन भरे ॥१ बहुल विगुरिया औ चिरयारा | उसर तलोया औ भनजारा ॥२ परवा तेलकार तलोरा । रंन टिटहरी धरे टटोरा ॥३ पनवुकरा केरमोरो धने । कॅज महोस जॉय न गिनें ॥४ धरे कोयरें अंकुसी वनॉ। पंसि बहुल नाउ को गिनाँ ॥५ जे कर आय समान, सरयस घरन के तेहि ।६ अउर पंसि जे मारे, ताकर नाँउँ को लेहि ॥७ टिप्पणी-(१)रावा-(ल्या) पटेरसे छोटा सी जातिका पक्षी (घटन स्पेल)। गुरुर्स-टेर जातिका इसी नामसे रन्यात पश (कामन परट
पृष्ठ:चंदायन.djvu/१७६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१६६