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महतै साथ पाँठ लै, राजा कीन्ह पयान । तरै ताब बासुकि खरभरे, सूरज गयउ लुकान ॥७ टिप्पणी-(१) पयाना-प्रयाण, प्रस्थान, रवानगी । तबर-नकारा । (२) अकछत-अक्षत, अपार । पसार-प्रमार, पलाय । (४) सगरै--सारे । नराई-नरेश । (५) खेह-धूल । (६) महत-महत् , श्रेष्ठ अर्थात् ब्राह्मण । (रोलैण्ड्स ५९) टर राह पाल नजिस आमदन पेशे राव रूपचद व मने कर्दन महता (राहम अपशकुन) सूके टॅप काग रिरियाये । जोगी आवा भसम चढाये ॥१ दहिने दिसिहुत भर्रा आवा । डॅवरू बायें हाथ बजाया ॥२ उक्त सूर दिसि फकरि सियारी । अरु भुइँ रकत दीस रतनारी ॥३ कुसगुन भये न बहिरै राऊ । न बहिरै न देखेउँ काऊ ॥४ महते जाइ राउ समझावा । कुसगुन भयउँ किन आगे नावा॥५ चॉद सनेह काम रस बेधा, राजा गा पेउराइ ६ एको सगुन न मानी राजा, गोवर छेकसि आइ ॥७ टिप्पणी-(६) गा-हो गया । यउराइ-पागल । १०२ (रीलैण्ड्म ६.) गिर्द कर्दन राव रूपच द शहर गोवर रा व दर हिसार मानदन शहर (गोघर नगरपर रूपचन्दका घेरा) चहुँ दिसि छेका गाढ फिराना । सोटहिं सोट जोरि गर लावा ॥१ तुरिहँ पान-बेलि पनवारी । केतिह खेत सँग फुलवारी ॥२ काटे चहुँ पास अबराऊँ । तार सज़र आम लसराऊँ ॥३