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१०२ (रोलैग्स २०) बाज नमूदने जुनारदार पैगामे-वादन व क्ब्ल कटने महर व दहानीदने नेग (पाहाणके यावनका सन्देश कहनेके पथात् महरका उसे स्वीकार करना नेग दिराना) याँभन टीक बोल के पाई । वरउ चॉद रहु मोर बड़ाई ॥१ तूं नरिन्द देस कह राऊ । तोकहँ यरहि न आवइ काऊ ॥२ रास गुनित कर नॉउँ न लीजा । राइ जीत पर बेटी दीजा ॥३ दयी लाग काज जो करा । ताकर धरम दुहुँ जग धरा ॥४ वाँभन वोल महर जो माना । गोद क बनिन दिवाई पाना ॥५ सेंदुर फल चढ़ाये, औ मोतिह गलहार ६ देत चाँदा पावन कहें, तीर लाउ करतार ॥७ . ४१ (रोरेप्ट्स २१) पाउ गस्तन उनादार व हजाम व सन गुवन पियत निकाह पर जीत (माह्मण और नाईका पापस आमर जीतसे सगाईको बात कहना) वेल फुलेल दुवउ अन्हवाये । अपुरुष बस्त्र काढि पहिराये ॥१ महर मंदिर जेहिं जेवनारा । लीन्हि पान भये असवारा ॥२ दयी असीस फिरायी बागा । रहत चले बोल भल लागा ॥३ जायि जीत घर देत बधाई । चरी चाँद पावन कहँ पाई ॥४ पह भयी निसि अँधियार बिहावा । करहु वियाह चाँद घर आवा ॥५ जीत बुलाये लोग कुटेंब, जिन सुन्ह एक सत आइ ।६ महर देत वाचन कँह चॉदा, चलङ रियाह जाइ ॥७ टिप्पणी-अन्हवादे-रमान कराया।