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गोदान
 


वह के गले पर छुरी चल रही थी,तो भला तुम कैसे बोलते। उस बखत कोई तुम्हारा सरवस लूट लेता,तो भी तुम्हें सुध न होती।

होरी चुपचाप सुनता रहा। मिनका तक नहीं। झुंझलाहट हुई,क्रोध आया,खून खौला,आँख जली,दाँत पिसे;लेकिन बोला नहीं। चुपके-से कुदाल उठायी और ऊख गोड़ने चला।

धनिया ने कुदाल छीनकर कहा--क्या अभी सवेरा है जो ऊख गोड़ने चले? सूरज देवता माथे पर आ गये। नहाने-धोने जाव। रोटी तैयार है।

होरी ने घुन्नाकर कहा-मुझे भूख नहीं है।

धनिया ने जले पर नोन छिड़का-हाँ, काहे को भूख लगेगी। भाई ने बड़े-बड़े लड्डू खिला दिये हैं न! भगवान ऐसे सपूत भाई सबको दें।

होरी बिगड़ा। क्रोध अब रस्सियाँ तुड़ा रहा था-तू आज मार खाने पर लगी हुई है।

धनिया ने नकली विनय का नाटक करके कहा--क्या करूँ, तुम दुलार ही इतना करते हो कि मेरा सिर फिर गया है।

'तू घर में रहने देगी कि नहीं?'

'घर तुम्हारा,मालिक तुम,मैं भला कौन होती हूँ तुम्हें घर से निकालनेवाली।'

होरी आज धनिया से किसी तरह पेश नहीं पा सकता। उसकी अक्ल जैसे कुन्द हो गयी है। इन व्यंग्य-बाणों के रोकने के लिए उसके पास कोई ढाल नहीं है। धीरे से कुदाल रख दी और गमछा लेकर नहाने चला गया। लौटा कोई आध घण्टे में;मगर गोबर अभी तक न आया था। अकेले कैसे भोजन करे। लौंडा वहाँ जाकर सो रहा। भोला की वह मदमाती छोकरी नहीं है झुनिया। उसके साथ हँसी-दिल्लगी कर रहा होगा। कल भी तो उसके पीछे लगा हुआ था। नहीं गाय दी,तो लौट क्यों नहीं आया। क्या वहाँ ढई देगा।

धनिया ने कहा-अब खड़े क्या हो? गोबर साँझ को आयेगा।

{{Gap]}होरी ने और कुछ न कहा। कही धनिया फिर न कुछ कह बैठे।

भोजन करके नीम की छाँह में लेट रहा।

रूपा रोती हुई आई,नंगे बदन एक लॅगोटी लगाये, झवरे बाल इधर-उधर बिखरे हुए। होरी की छाती पर लोट गयी। उसकी बड़ी बहन सोना कहती है-गाय आयेगी,तो उसका गोवर मैं पाचूंगी। रूपा यह नहीं बरदाश्त कर सकती। सोना ऐसी कहाँ की बड़ी रानी है कि सारा गोवर आप पाथ डाले। रूपा उससे किस बात में कम है। सोना रोटी पकाती है,तो क्या रूपा बरतन नहीं माँजती? सोना पानी लाती है,तो क्या रूपा कुएँ पर रस्सी नहीं ले जाती? सोना तो कलसा भरकर इठलाती चली आती है। रस्सी समेटकर रूपा ही लाती है। गोबर दोनों साथ पाथती हैं। सोना खेत गोड़ने जाती है,तो क्या रूपा बकरी चराने नहीं जाती? फिर सोना क्यों अकेली गोबर पाथेगी? यह अन्याय रूपा कैसे सहे।

होरी ने उसके भोलेपन पर मुग्ध होकर कहा-नहीं,गाय का गोबर तूं पाथना। सोना गाय के पास जाये तो भगा देना।