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गोदान
३५
 


जितना उदंड था,पुनिया को उतना ही शान्त रखना चाहता था। जब भैया ने पन्द्रह रुपये में सौदा कर लिया,तो यह बीच में कूदनेवाली कौन!

आते ही उसने पुन्नी का हाथ पकड़ लिया और घसीटता हुआ अलग ले जाकर लगा लाते जमाने--हरामजादी,तू हमारी नाक कटाने पर लगी हुई है! तू छोटे-छोटे आदमियों से लड़ती फिरती है,किसकी पगड़ी नीची होती है बता!(एक लात और जमाकर) हम तो वहाँ कलेऊ की वाट देख रहे हैं,तू यहाँ लड़ाई ठाने बैठी है। इतनी बेमर्मी! आँख का पानी ऐसा गिर गया! खोदकर गाड़ दूंगा।

पुन्नी हाय-हाय करती जाती थी और कोसती जाती थी, 'तेरी मिट्टी उठे,तुझे हैजा हो जाय,तुझे मरी आये,देवी मैया तुझे लील जायँ,तुझे इन्फ्लुएंजा हो जाय। भगवान् करे,तू कोढ़ी हो जाय। हाथ-पाँव कट-कट गिरें।'

और गालियाँ तो हीरा खड़ा-खड़ा सुनता रहा, लेकिन यह पिछली गाली उगे लग गयी। हैजा,मरी आदि में विशेप कप्ट न था। इधर बीमार पड़े, उधर विदा हो गये,लेकिन कोढ़! यह घिनौनी मौत,और उसमे भी घिनौना जीवन। वह तिलमिला उठा, दाँत पीसता हुआ फिर पुनिया पर झपटा और झोटे पकड़कर फिर उसका सिर जमीन पर रगड़ता हुआ बोला--हाथ-पाँव कटकर गिर जायेंगे,तो मैं तुझे लेकर चाटूंगा! तू ही मेरे बाल-बच्चों को पालेगी? ऐं! तू ही इतनी बड़ी गिरस्ती चलायेगी? तू तो दूसरा भरतार करके किनारे खड़ी हो जायगी।

चौधरी को पुनिया की इस दुर्गति पर दया आ गयी। हीरा को उदारतापूर्वक समझाने लगा-हीरा महतो,अव जाने दो, बहुत हुआ। क्या हुआ,बहू ने मुझे मारा। मैं तो छोटा नहीं हो गया। धन्य भाग कि भगवान् ने यह दिन तो दिखाया।

हीरा ने चौधरी को डाँटा-तुम चुप रहो चौधरी, नहीं मेरे क्रोध में पड़ जाओगे तो बुग होगा। औरत जात इसी तरह बकती है। आज को तुमसे लड़ गयी,कल को दूसरों से लड़ जायगी। तुम भले मानस हो,हँसकर टाल गये,दूसरा तो बरदास न करेगा। कहीं उसने भी हाथ छोड़ दिया,तो कितनी आवरू रह जायेगी,बताओ।

इस खयाल ने उसके क्रोध को फिर भड़काया। लपका था कि होरी ने दौड़कर पकड़ लिया और उसे पीछे हटाते हुए बोला-अरे हो तो गया। देख तो लिया दुनिया ने कि बड़े बहादुर हो। अब क्या उसे पीसकर पी जाओगे?

हीरा अब भी बड़े भाई का अदब करता था। सीधे-सीधे न लड़ता था। चाहता तो एक झटके में अपना हाथ छुड़ा लेता; लेकिन इतनी बेअदबी न कर सका।चौधरी की ओर देखकर बोला-अब खड़े क्या ताकते हो। जाकर अपने बाँस काटो। मैंने सही कर दिया। पन्द्रह रुपए सैकड़े में तय है।

कहाँ तो पुन्नीरो रही थी। कहाँ झमककर उठी और अपना सिर पीटकर बोली-लगा दे घर में आग,मुझे क्या करना है। भाग फूट गया कि तुम-जैसी कसाई के पाले पड़ी। लगा दे घर में आग!