द्वार-द्वार भीख माँगते फिरें। यही न? इससे तो कहीं अच्छा है कि मैं अपनी ही जान दे दूं। मुंह अँधेरे सोनारी चली जाना और उसे बुला लाना;मगर नहीं,बुलाने का काम नहीं। मुझे उससे बोलते लाज आयेगी। तू ही मेरा यह संदेशा कह देना। देख क्या जवाब देते हैं। कौन दूर है? नदी के उस पार ही तो है। कभी-कभी ढोर लेकर इधर आ जाता है। एक बार उसकी भैंस मेरे खेत में पड़ गयी थी,तो मैंने उसे बहुत गालियाँ दी थीं। हाथ जोड़ने लगा। हाँ,यह तो बता,इधर मतई से तेरी भेंट नहीं हुई! सुना,बाह्मन लोग उन्हें बिरादरी में नहीं ले रहे हैं।
सिलिया ने हिकारत के साथ कहा-बिरादरी में क्यों न लेंगे;हाँ,बूढ़ा रुपए नहीं खरच करना चाहता। इसको पैसा मिल जाय,तो झूठी गंगा उठा ले। लड़का आजकल बाहर ओसारे में टिक्कड़ लगाता है।
'तू इसे छोड़ क्यों नहीं देती? अपनी बिरादरी में किसी के साथ बैठ जा और आराम से रह। वह तेरा अपमान तो न करेगा।'
'हाँ रे,क्यों नहीं,मेरे पीछे उस बेचारे की इतनी दुरदशा हुई,अब मैं उसे छोड़ दूं। अब वह चाहे पंडित बन जाय चाहे देवता बन जाय,मेरे लिए तो वही मतई है,जो मेरे पैरों पर सिर रगड़ा करता था;और बाह्मन भी हो जाय और बाह्मनी से ब्याह भी कर ले,फिर भी जितनी उसकी सेवा मैंने की है,वह कोई बाह्मनी क्या करेगी। अभी मान-मरजाद के मोह में वह चाहे मुझे छोड़ दे;लेकिन देख लेना,फिर दौड़ा आयेगा।'
'आ चुका अब। तुझे पा जाय तो कच्चा ही खा जाय।'
'तो उसे बुलाने ही कौन जाता है। अपना-अपना धरम अपने-अपने साथ है। वह अपना धरम तोड़ रहा है,तो मैं अपना धरम क्यों तोड़ें।'
प्रातःकाल सिलिया सोनारी की ओर चली;लेकिन होरी ने रोक लिया। धनिया के सिर में दर्द था। उसकी जगह क्यारियों को बराना था। सिलिया इनकार न कर सकी। यहाँ से जब दोपहर को छुट्टी मिली तो वह सोनारी चली।
इधर तीसरे पहर होरी फिर कुएँ पर चला तो सिलिया का पता न था। बिगड़कर बोला-सिलिया कहाँ उड़ गई? रहती है, रहती है,न जाने किधर चल देती है,जैसे किसी काम में जी ही नहीं लगता। तू जानती है सोना,कहाँ गयी है?
सोना ने बहाना किया--मुझे तो कुछ मालूम नहीं। कहती थी,धोबिन के घर कपड़े लेने जाना है,वहीं चली गयी होगी।
धनिया ने खाट से उठकर कहा-चलो,मैं क्यारी बराये देती हूँ। कौन उसे मजूरी देते हो जो उसे बिगड़ रहे हो।
'हमारे घर में रहती नहीं है? उसके पीछे सारे गाँव में बदनाम नहीं हो रहे हैं?'
'अच्छा,रहने दो,एक कोने में पड़ी हुई है,तो उससे किराया लोगे?'
'एक कोने में नहीं पड़ी हुई है,एक पूरी कोठरी लिये हुए है।'
'तो उस कोठरी का किराया होगा कोई पचास रुपए महीना!'