धनिया ने पूछा-कितने की तौल हुई?
'एक सौ बीस मिले;पर सव वहीं लुट गये;धेला भी न बचा।'
धनिया सिर से पाँव तक भस्म हो उठी। मन में ऐसा उद्वेग उठा कि अपना मुंह नोच ले। बोली-तुम जैसा घामड़ आदमी भगवान् ने क्यों रचा,कहीं मिलते तो उनसे पूछती। तुम्हारे साथ सारी जिन्दगी तलख हो गयी,भगवान् मौत भी नहीं दे देते कि जंजाल से जान छूटे। उठाकर सारे रुपए बहनोइयों को दे दिये। अब और कौन आमदनी है,जिससे गोई आयेगी। हल में क्या मुझे जोतोगे,या आप जुतोगे? मैं कहती हूँ,तुम बूढ़े हुए,तुम्हें इतनी अक्ल भी नहीं आई कि गोई-भर के रुपए तो निकाल लेते! कोई तुम्हारे हाथ से छीन थोड़े लेता। पूस की यह ठंढ और किसी की देह पर लत्ता नहीं। ले जाओ सबको नदी में डुबा दो। सिसक-सिसक कर मरने मे तो एक दिन मर जाना फिर अच्छा है। कव तक पुआल में घुसकर रात काटेंगे और पुआल में घुस भी लें,तो पुआल खाकर रहा तो न जायगा! तुम्हारी इच्छा हो घास ही खाओ,हमसे तो घास न खायी जायगी।
यह कहते-कहते वह मुस्करा पड़ी। इतनी देर में उसकी समझ में यह बात आने लगी थी कि महाजन जब सिर पर सवार हो जाय,और अपने हाथ में रुपये हों और महाजन जानता हो कि इसके पास रुपये हैं,तो असामी कैसे अपनी जान बचा सकता है!
होरी सिर नीचा किये अपने भाग्य को रो रहा था। धनिया का मुस्कराना उसे न दिखायी दिया। बोला-मजूरी तो मिलेगी। मजूरी करके खायँगे।
धनिया ने पूछा--कहाँ है इस गाँव में मजूरी? और कौन मुँह लेकर मजूरी करोगे? महतो नहीं कहलाते!
होरी ने चिलम के कई कश लगाकर कहा-मजूरी करना कोई पाप नहीं है। मजूर बन जाय तो किसान हो जाता है। किसान बिगड़ जाय तो मजूर हो जाता है। मजूरी करना भाग्य में न होता तो यह सब बिपत क्यों आती? क्यों गाय मरती? क्यों लड़का नालायक निकल जाता?
धनिया ने बहू और बेटियों की ओर देखकर कहा--तुम सव की सब क्यों घेरे खड़ी हो,जाकर अपना-अपना काम देखो। वह और है जो हाट-बाजार से आते है,तो बाल-बच्चों के लिए दो-चार पैसे की कोई चीज़ लिये आते हैं। यहाँ तो यह लोभ लग रहा होगा कि रुपये तुड़ायें कैसे? एक कम न हो जायगा;इसीसे इनकी कमाई में बरक्कत नहीं होती। जो खरच करते हैं,उन्हें मिलता है। जो न खा सकें,न पहन सकें,उन्हें रुपये मिले ही क्यों? जमीन में गाड़ने के लिए?
होरी ने खिलखिलाकर पूछा-कहाँ है वह गाड़ी हुई थाती ?
'जहाँ रखी है,वहीं होगी। रोना तो यही है कि यह जानते हुए भी पैसों के लिए मरते हो! चार पैसे की कोई चीज़ लाकर बच्चों के हाथ पर रख देते तो पानी में न पड़ जाते। झिंगुरी से तुम कह देते कि एक रुपया मुझे दे दो,नहीं मैं तुम्हें एक पैसा न दूंगा,जाकर अदालत में लेना,तो वह जरूर दे देता।'