आठवाँ अध्याय sy इससे देश में एक राजनीतिक हलचल मच गई। इसके बाद वार्षिक अधिवेशन में उस प्रस्ताव का खूब जोरों के साथ सम- र्थन हुआ । साथ ही हिंदू-मुस्लिम-ऐक्य ने आश्चर्यकारक रूप धारण किया। देखते-देखते प्रबल युद्ध छिड़ गया, और छोटे- बड़े नेताओं से लेकर सर्व-साधारण तक लगभग ३० हजार मनुष्य जेल में जा बैठे। महात्मा गांधी उस युद्ध के संचालक और अली-बंधु, दास, अजमलखाँ, स्वामी श्रद्धानंद, नेहरू, लालाजी-जैसे वीर उसमें सम्मिलित होकर जेल गए । संसार-भर में उसकी धूम मच गई। महात्माजी ने बारडोली को खास तौर से युद्ध की दूसरी किश्त के लिये तैयार किया। यह देखकर सरकार दहल गई, और प्रथम बार महात्माजी के साथ समझौते के लिये गोल-सभा की स्थापना की इच्छा प्रकट की । महात्माजी अपनी कुछ शर्तों के साथ गोल-सभा में जाने को राजी हो गए । शर्तों पर विचार होने लगा । इसी बीच में, चौराचौरी में, हत्याकांड हो गया, जिसमें कुछ सरकारी मुलाज़िम मारे गए । महात्माजी ने अपने अहिंसा-सिद्धांत के आधार पर समस्त आंदोलन को बंद कर दिया । सारे देश-भर की प्रार्थना सुनकर भी उन्होंने अपना निश्चय नहीं बदला । देखते-देखते ही वह तूफ़ान एक- दम शांत हो गया। सरकार ने भी गोल-सभा की इच्छा मुल्तवी कर दी। इधर महात्माजी ने मझा कि देश अहिंसक युद्ध के लिये
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