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चौथा अध्याय इस भाषण के बाद आपने 'विलव दीर्घजीवी हो' का नारा लगाया, और हजारों कंठों से वह तीन बार घोषित किया गया। अनंतर विषय-निर्वाचिनी के निर्णयानुसार यतीन और विजय पूँगो को मृत्यु पर शोक प्रकट किया गया, और इस दिन को कार्यवाही समाप्त हुई। ३१वीं दिसंबर को दिन के एक बजे से कांग्रेस को कार्यवाही पुनः आरंभ हुई। देश-विदेशों के कितने ही व्यक्तियों और संस्थाओं की ओर से जो सहानुभूति-सूचक तार आए थे, राष्ट्र- पति के आदेशानुसार, उनमें से कुछ थोड़े-से डॉक्टर अंसारी द्वारा पढ़कर सुनाए गए। महात्मा गांधी ने पहले दिल्ली को बम-दुर्घटना के संबंध में खेद-प्रकाश करने का प्रस्ताव पेश किया, जो ८९७ अनुकूल और ८१५ प्रतिकूल वोटों से पास हुआ। इसके बाद महात्माजी ने अपना यह मूल-प्रस्ताव रक्खा- "विगत ३१वीं ऑक्टोबर को वाइसराय ने औपनिवेशिक स्वराज्य के संबंध में जो घोषणा की थी, और जिसके जवाब में नेताओं ने मिलकर एक नोटिस निकाला था, उसके संबंध में वर्किंग कमेटी ने जो कुछ किया था, उसका यह कांग्रेस अनु. मोदन करती है। स्वराज्य-आंदोलन के विषय में बड़े लाट ने जो चेष्टा को, वह भी कांग्रेस की दृष्टि में प्रशंसनीय है। इसके बाद से अब तक जो कुछ हुआ है, और बड़े लाट से नेताओं