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गोल-सभा निवेशिक स्वराज्य प्राप्त करने में असमर्थ रहे। समझौते के लिये वाइसराय ने प्रशंसनीय चेष्टा की । वह हमसे प्रेम और नम्रता से मिले । हमें प्रतीत हुआ कि कांग्रेस का समझौते की सभा में सम्मिलित होना व्यर्थ है। मेरे प्रस्ताव का दूसरा भाग कांग्रेस के ध्येय में परिवर्तन से संबंध रखता है । हम कहते हैं कि स्वराज्य का अर्थ पूर्ण स्वतंत्रता है । उसे प्राप्त करने को हमें शांत और वैध उपायों से ही काम लेना होगा । प्रस्ताव में कौंसिलों आदि के बहिष्कार की बात आपको बहुत भारी दोखेगी। पर आपका काम भी तो भारो है। आप सम्राट् की सरकार के स्थान पर अपनी सरकार स्थापित करके राजभक्ति की शपथ तो ले ही नहीं सकते । आपको झोपड़ियों में जाना, अछूतों को गले लगाना तथा मुसलमानों को मिलाना होगा।x x x हमें अपनी सारी शक्ति क्रियात्मक काम में लगानी चाहिए। सत्याग्रह के लिये हम अभी तैयार नहीं। यह काम आल इंडिया- कांग्रेस कमेटी के हाथ में रहे । अब नेहरू-रिपोर्ट रद समझी जाय । उसके कारण जो सिख और मुसलमान कांग्रेस से पृथक थे, वे अब एक होने चाहिए।" इस प्रस्ताव का समर्थन श्रीनिवास ऐयंगर ने किया। २८ तारीख को समिति में 'पूर्ण स्वाधीनता के ध्येय' पर जबर्दस्त बहस हुई । पंडित मदनमोहन मालवीय ने कहा- "कांग्रेस को गोल-सभा में भाग लेना चाहिए । दिल्ली में, फरवरी में, सर्वदल-सम्मेलन किया जाय ।"