लोह-लेखनी के धनी आचार्य श्रीचतुरसेनजी शास्त्री की कसीली क़लम की करामात! अक्षत-सचित्र गल्प-संग्रह । देखिए, कलामुही निर्जीव लेखनी किस भाँति हँसती, रोती और थिरक-थिरककर नाचती है। मूल्य १), सजिल्द उत्सर्ग-नाटक । वे राजपूत सिंह और सिंहनियाँ किस भौति मातृभूमि पर जूम मरे हैं। एक बार पढ़कर आप पापे से बाहर हो जायेंगे। मूल्य, सजिल्द) हृदय की प्यास-उपन्यास । सौंदर्य की चिनगारी हृदय में एक भाग सुजगाती है, और जब वह धार्य-धाय जलती है, तब मनुष्य की कैसी दयनीय दशा हो जाती है। पढ़कर देखिए । श्राप गहरे विचार में पड़ जायेंगे। हिंदी का सर्वश्रेष्ठ समाजिक उपन्यास । मूल्य ॥), सजिल्द) हृदय की परख-उपन्यास । दूसरी बार। वासना और प्रेम का विशुद्ध प्रवाह कहाँ आकर एक संपात पर टकराता है। प्रेम के नाम पर पतन होनेवालों को भाप कहाँ तक करुण-पमा दे सकते हैं, देखिए । मूल्य ), सजिल्द ) संचालक गंगा-पुस्तकमाला-कार्यालय, लखनऊ
पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/४
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।