चौथा अध्याय २६ इस प्रकार यह सम्मेलन व्यर्थ गया। अफवाहें-कांग्रेस से प्रथम चारो तरफ अनेक प्रकार की अफवाहें फैल रही थीं। लोग कहते थे, हवाई जहाज और मशीन- गर्ने पंडाल को उड़ा देंगी। कांग्रेस पूरी न हो सकेगी। कुछ लोग कहते थे, जवाहरलाल स्वराज्य-सेना-संग्रह कर युद्ध शुरू कर देंगे। रूस और अमेरिका से मदद मिल रही है। हिंदोस्तान- भर की खुफिया पुलीस लाहौर में इकट्ठी हो गई है, आदि-आदि । सभापति का जुलूस-२५तारीख को ४ बजे पं० जवाहरलाल नेहरू को स्पेशल ट्रेन स्टेशन पर पहुँची । लोगों का कहना था कि इतनी भीड़ लाहौर में पहले कभी नहीं देखी गई।१ घंटे तक सभापति को रास्ता न मिला । प्लेटफार्म पर बैंड बज रहा था। चर्खदार झंडियाँ थीं। महिलाओं की काफी तादाद थी। स्वयंसेवकों ने सभापति को सलामी दी। जनरल ऑफिसर कमांडिंग सरदार मंगलसिंह सफ़ेद घोड़े पर सवार, १०० सवारों के साथ, नेतृत्व कर रहे थे। पं० जवाहरलाल नेहरू सफेद घोड़े पर सवार हुए । आगे- आगे अनाथ-आश्रम और अन्य दो संस्थाओं का बैंड बजता था। उसके पीछे कांग्रेस-स्वयंसेवक बीन बाजा और शहनाई बजा रहे थे। उसके पीछे नियमित कांग्रेस-मैंड था । इसके बाद कुमारी जुतशी के संचालन में महिला स्वयंसेवक दल था। इसके पीछे सेनापति मंगलसिंह के नेतृत्व में घुड़सवार-दल था । सरदार शार्दूलसिंह, लाला दुनीचंद ( लाहौर), नामधारी
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