गोल-सभा "वायसराय से नेताओं का सम्मिलन-इसी दिन ३ बजे शाम को महात्मा गांधी, पं० मोतीलाल नेहरू, माननीय पटेल, सर तेजबहादुर सपू और मि० जिन्ना से वायसराय ने मुलाकात की। २३ घंटे तक बहस होती रही । महात्मा गांधी का कहना था कि सम्राट् की गवर्नमेंट की ओर से जब तक यह विश्वास न दिलाया जायगा कि प्रस्तावित गोल-सभा में औपनिवेशिक स्वराज्य की स्कोम पर विचार होगा, और ब्रिटिश गवर्नमेंट उसका समर्थन करेगी, तब तक कांग्रेस का उसमें भाग लेना कठिन है। वायसराय ने साफ तौर पर कह दिया कि सभा का उद्देश्य केवल यही है कि उन प्रस्तावों में, जिन्हें गवर्नमेंट ब्रिटिश पालियामेंट के सामने पेश करेगी, अधिक-से-अधिक एकमत होने का विचार प्रकट किया जा सके। मेरे लिये अथवा सम्राट की सरकार के लिये पहले से यह बताना असंभव है कि सभा में क्या होगा । पालियामेंट को स्वाधीनता कम करना भी संभव नहीं। महात्मा गांधी ने कहा-मैं भारत के राष्ट्र के सामने प्रतिज्ञा कर चुका हूँ कि ३१ दिसंबर तक यदि भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य न मिल जायगा, तो मैं पूर्ण स्वाधीनतावादी बन जाऊँगा । अतः शीघ्र ही पूर्ण औपनिवेशिक स्वराज्य की बात स्वीकार कर लेनी चाहिए । वायसराय ने जवाब देते हुए कहा-मैं महात्मा गांधी और पं० मोतीलालजी नेहरू की मांगों से, जो उम्र के लायक और स्वीकार करने के अयोग्य हैं, सहमत नहीं।
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