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चौथा अध्याय Rue वायसराय को टन पर बम-२३ तारीख के प्रातःकाल ७३ बजे निजामुद्दीन-स्टेशन और अजमेरी-दरवाजे के रेलवे केबिन के बीच कांतिकारी दल ने बम का प्रयोग किया। यह बम बड़ी होशियारी से निजामुद्दीन और नई दिल्ली-स्टेशन के बीच ६५२-६ नंबर के खंभे के पास, लाइन के नीचे, रक्खा था, और उसका संबंध एक बिजली के तार से था, जो मिट्टी के नीचे दबा दिया गया था, और पुराने किले की दक्षिणी दीवार से २० गज के फासले पर होता हुआ चला गया था। वहां से चौथाई मील के फासले पर एक शख्स बैठा था, और बैटरी तार से लगो हुई थी। जहाँ बम रखा था, वहाँ से ३० फोट इधर-उधर जमीन ढालू थी। यदि ट्रेन पटरी से भी उतर जाती, तो चकना- चूर हो जाती । उस वक्त घना कुहरा पड़ रहा था। ट्रेन ५० मील की चाल पर दौड़ रहो थी। ट्रेन के ठीक वहाँ पहुँचने पर धड़ाका हुआ। दो डब्बे बुरो तरह नष्ट हो गए । एक खानसामे को चोट आई । खिड़कियों के शीशे टूट गए । उस स्थान की पटरी २ फ्रीट ६ इंच उड़ गई। परंतु ट्रेन विना रुके नई दिल्ली-स्टेशन पर, ठोक टाइम पर, पहुँच गई । बम को खबर 'स्टेशन पहुंचने पर कर्नल हार्वे ने वायसराय को दी । वह उसी क्षण घटना- स्थल पर गए । लाइन पर पुलीस का कड़ा पहरा था, और घटना- स्थल पर भी पुलोस तैनात थी। ठीक इसी दिन लॉर्ड हार्डिग पर भी बम फेका गया था। इस संबंध के सब भेद अब लाहौर के दूसरे षड़यंत्र-केस में खुल गए हैं ।