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चौथा अध्याय लाहौर-कांग्रेस लाहौर में कांग्रेस-इससे प्रथम लाहौर में दो अधिवेशन हो चुके थे, पहला सन् १८६३ में स्वर्गीय दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में और दूसरा सन् १९०० में। परंतु इस कांग्रेस में और उनमें बहुत अंतर था ! वह कांग्रेस अर्ध-सरकारी संस्था थी। लोग बड़े दिन को छुट्टियों का मजा लूटने, अँगरेजी में सुंदर व्याख्यान झाड़ने और सुनने को इकट्ठे हुआ करते थे। हिंदोस्तानियों को ऊँची नौकरियाँ मिलें-इसी प्रकार के प्रस्ताव होते और उनकी नकलें सरकार को भेज दी जाती थीं। कांग्रेस का जन्म-स्वर्गीय देशभक्त सुरेंद्रनाथ बनर्जी को कांग्रेस को जन्म देने का श्रेय मिलना योग्य है । उन्होंने देश में राजनीतिक प्रचार करने और राष्ट्रीयता का भाव भरने को, २६ जुलाई, सन् १८७६ में, कलकत्ते में, इंडियन एसोसिएशन कायम किया । श्यामाचरण सरकार उसके सभापति और आनंदमोहन बोस मंत्री बनाए गए । परंतु सच्चे मंत्री तो सुरेंद्रनाथ ही थे। पर चूंकि वह तभी नौकरी से निकाले गए थे, इसलिये राज- नीति में अगुआ होना न चाहते थे। इसी अवसर पर लॉर्ड साल्सबरी ने इंडियन सिविल सर्विस.