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गोल-सभा या हत्या की चेष्टा करने से संबंध रखनेवाले मामलों को छोड़ अन्य सभी राजनीतिक मामले उठा लिए जाने चाहिए, और बड़ी व्यवस्था-सभा के पांच लोक-प्रिय व्यक्तियों की कमेटी की अनु- मति विना किसी भी व्यक्ति पर १२४ ए (राजद्रोह) धारा के अंतर्गत मामला नहीं चलाया जाना चाहिए। ( १० ) नुफ़िया-पुलिस-विभाग उठा दिया जाना चाहिए अथवा उस पर जनता का अधिकार रहना चाहिए। (११) निरस्त्रीकरण-संबंधी कानून का सुधार होना चाहिए, और हरएक जिले में जनता द्वारा निर्वाचित एक कमेटी होनी चाहिए, जिसकी सिफारिश करने पर लोगों को प्रख रखने के लिये लाइसेंस दिया जाना चाहिए। विलायत से रवाना होने के समय जयकर, सप्रू तथा शास्त्री महाशयों ने तार द्वारा कांग्रेस से प्रार्थना की थी कि वह उनके आने तक अपना निर्णय स्थगित रक्खे। इसके उत्तर में, महास्माजी की सम्मति से, निर्णय स्थगित रक्खा गया। मनस्वी पं० मोतीलालजी नेहरू के अचानक स्वर्गवास से इस समय बहुत हानि हुई । वह अंतिम क्षण तक इसो निर्णय के लिये बेचैन रहे । उन्होंने अंतिम बार कहा था- भारत का भाग्य 'स्वराज्य-भवन' में ही निश्चित कर लो, इसे मेरे ही सामने तय कर लो । अपनी मातृभूमि के भाग्य के अंतिम सम्मानित समझौते के निपटारे में मुझे भी भाग लेने दो। अगर मुझे मरना ही है, तो मैं स्वतंत्र भारत की