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२३८ गोल-सभा दिया। आपने कहा, अगर मि० चर्चिल की बातें मानी जाती, तो बजाय ६० हजार के ६ लाख कैदी जेलों में भर जाते। और भी बहुत-से सदस्य बोले । गोल-सभा के बाद, जैसा कि सर सत की अपील पर महामंत्री ने वचन दिया था, महात्मा गांधी और अन्य प्रमुख नेता विना शत इसलिये छोड़ दिए गए कि वे खुले दिल से इस बात पर विचार करें कि क्या गोल-सभा के निर्णय से वे सहमत हैं ? और, क्या वे अब अपना आंदोलन स्थगित करके सरकार से सह- योग किया चाहते हैं ? लॉर्ड इरविन ने १७ जनवरी की भारतीय व्यवस्थापिका सभा का उद्घाटन करते समय भी महत्मा गांधी से सांकेतिक अपील की थी कि वह अब इस समझौते से सहमत हो जायें। महात्मा गांधी ने जेल से छूटते ही इस विषय में एक वक्तव्य निकाला, जिसका आशय यह था- "नमक बनाने तथा शराब और विदेशी कपड़े के बहिष्कार से कुशासन का कोई संबंध नहीं । ग्रेट ब्रिटेन और भारत में चाहे जितना सद्भाव क्यों न हो जाय, जनता को यह बात नहीं सम- झाई जा सकती कि शराब पीना या विदेशी वस्त्र पहनना ठीक है या नमक बनाने की मनाही उचित है। मैं शांति के लिये बेचैन हूँ, मगर सम्मान-पूर्वक उसे प्राप्त करना चाहता हूँ । इस- लिये गोल-सभा-रूपी वृक्ष को मैं उसके फल से जानना चाहता हूँ, जिनमें तीन उपर्युक्त हैं, शेष ८ भी विख्यात हैं।"