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सत्रहवाँ अध्याय शांति संसार-भर के प्रसिद्ध पत्रों और व्यक्तियों ने इस गोल-सभा के अनुकूल और प्रतिकूल परिणामों पर अपनी सम्मति दी। ऐसा प्रतीत होता था, मानो कुछ काल के लिये यह सभा सारे संसार के अध्ययन का विषय हो गई थी। भारत के प्रमुख कांग्रेसी नेता घोषणा से असंतुष्ट थे। कुछ ने तो उसकी तीव्र आलो- चना की थी, और उसमें सम्मिलित होनेवाले सज्जनों का मजाक उड़ाया था। २६ जनवरी को पार्लियामेंट की कामंस-सभा में यह मसौदा रक्खा गया। मि० मेकडानल्ड ने जितना हो सकता था, गोल- सभा के मसौदे के समर्थन में कहा । यह भय था कि कंजरवेटिव दल चर्चिल का मतानुयायो है, और वह जरूर विरोध करेगा। मि० मेकडानल्ड ने मि० चचिल की कुछ लल्लो-चप्पो भी की। उन्होंने कई शाही प्रतिज्ञाओं और घोषणाओं की ओर पार्लियामेंट का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद भिन्न-भिन्न दल के सदस्यों ने भिन्न-भिन्न बातें कहीं। सर सेमुएल होर और सर साइमन ने मसविदे का स्वागत किया, पर मि० चर्चिल ने खूब कटु आलो- चना की। मि० फेनर ब्राकवे ने चर्चिल को खूब मुंह तोड़ उत्तर