२२४ गोल-समा यदि हम अब भी उदासीन रहते, तो हम पर प्रतिज्ञा-भंग का दोष आता । साइमन कमीशन ने (आप मुझे यह कहने की इजाजत दें) महत्वपूर्ण कार्य किया है। आप चाहे मुझसे सहमत हों या न हों, मगर मैं यह कहूँगा कि आप कभी इन निश्चयों पर नहीं पहुंच सकते थे, जिन पर आप अब पहुंचे हैं। यदि साइमन- कमीशन न बैठता। हिंदोस्तान कभी साइमन के उपकारों से उरिन नहीं हो सकता। "जितनी दूर हम पहुँच सकते हैं, पहुँच चुके हैं। आपको हिंदोस्तान वापस जाना है। हमें यहाँ के लोक-मत का सामना करना है। आपने यहां पर जो कुछ कहा है, वह भारतीय लोक-मत पर उसके प्रभाव और उसकी प्रतिक्रिया को मद्देनजर रखकर कहा है। हम पार्लियामेंद के प्रतिनिधियों को भी ब्रिटेन के लोक-मत का सामना करना है। हमें भी अपनी सफाई देनी है। प्रतिज्ञा-पालन "हम अब तक क्या करते रहे हैं ?' बार-बार इस प्रतिज्ञा को दुहराया जाता रहा है कि ब्रिटिश राज्य हिंदोस्तान को सदैव गुलाम बनाए रखने के लिये नहीं है। जब साइमन कमीशन बना था, तभी यह निश्चय हो चुका था कि शासन-विधान को स्कीम मुकम्मिल करने से पूर्व ब्रिटिश या हिंदोस्तानी प्रतिनिधि परस्पर मिलकर विचार करेंग। मुझे बहुत दुःख है कि भारत की राजनीति में काम करनेवाला एक आवश्यक दुल यहाँ नहीं है। (लालियाँ) मुझे मेरे साथी लेपटविंय का राजनीतिक
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