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पंद्रहवां अध्याय है। अतः राष्ट्रीय संघ की अल्प-संख्यक समुदाय-संबंधी सब रियायतें मुसलमानों को नहीं दी जा सकतीं । हिंदोस्तान में मुसल- मानों की अपेक्षा कमजोर संप्रदाय भी बहुत-से हैं। (१०) अंत में राष्ट्र संघ के अल्पमतवाले राष्ट्रों को विशेष अधिकार देते हुए जो सावधानता रक्खी गई थी, वह हिंदोस्तान के लिये भी रक्खी जाय । वह यह कि "इन विशेष अधिकारों के साथ ऐसे समुदाय न बना दिए जायँ, जो केंद्रीय संस्था से विमुख हो नायँ । हमें राष्ट्र के अंदर राष्ट्र बनाने से बचना चाहिए। यदि अल्पमत-समुदाय अपने विशेषाधिकारों का दुरुप योग करते जायें, तो वह संपूर्ण राष्ट्र के संगठन के लिये घातक सिद्ध हो सकते हैं। दीवान बहादुर रामचंद्र राव ने देशी प्रजा के प्राथमिक अधि. कारों की घोषणा पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि मैं इस विषय में कोई नई धाराप्रस्तुत करना नहीं चाहता । नेहरू-रिपोर्ट के १०१वें पृष्ठ में वे धाराएँ आ गई हैं। इन पर चर्चा होनी चाहिए, जिससे प्रजा को इन बातों का लाभ हो सके- १. जान-माल का रक्षण, २. धार्मिक और मानसिक स्वा- तंत्र्य, ३. सभा और संस्थाओं के अधिकार, ४. प्रत्येक नाग रिक को विधि-विहित स्वातंत्र्य, ५. हीबियल कोर्पस के अनुसार न्याय प्राप्ति का हक, ६. सार्वजनिक विभागों में नागरिकता के अधिकार तथा धर्म या जाति के भेद-भाव-रहित किसी प्रकार की भी व्यापारिक साइंस का अधिकार, ७. आर्थिक सुधार के