गोल-सभा (४) नौकरियों में मुसलमानों को पर्याप्त स्थान देने की मांग के संबंध में हिंदू-महासभा की राय है कि योग्यता के अनुसार नियुक्ति होने की अवस्था में यह प्रश्न ही नहीं उठता। (५) मंत्रिमंडल में मुस्लिम मंत्रियों का पर्याप्त अनुपात रखने की मांग भी प्रस्तावित उत्तरदायी शासन के अनुकूल नहीं बैठती, क्योंकि उसमें मुख्य मंत्री को ही अधिकार दिया गया है कि वह अपनी इच्छा से सहयोगियों का चुनाव कर ले । उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। (६) नियामक सभाओं के चुनाव के संबंध में महासभा सम्मिलित चुनाव का बल-पूर्वक समर्थन करती है। हाँ, अस्थायी रूप से, अल्प-संख्यक समुदायों के लिये, उनके बालिगों की संख्या या मताधिकार प्राप्त व्यक्तियों की संख्या के अनुपात से रिजर्वेशन ऑफ सीट्स की रियायत दी जा सकती है। मगर निश्चित समय के बाद यह रियायत खुद-बखुद उठा ली जायगी। (७)अवशिष्ट अधिकारों के प्रांतीय सरकार के जिम्मे रखने की मांग का महासभा विरोध करती है। उसकी राय में ये अधिकार केंद्रीय सरकार के ही सुपुर्द होने चाहिए। (८) यदि मुसलमान पृथक् प्रतिनिधित्व पर तुले बैठे हों, तो हिंदू लखनऊ-पैक्ट के अनुसार समझौता करने को तैयार हो सकते हैं। (६) महासभा की राय में मुसलमानों को हिंदोस्तान में वैसी कमजोर स्थिति नहीं है, जैसी राष्ट्र संघ के कमजोर राष्ट्रों की
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