२०४ गोल-सभा भाषण पर प्रधान मंत्री का वक्तव्य प्रधान मंत्री ने रीडिंग-टाउन-हाल में भाषण देते हुए मिक चर्चिल के भाषण की धज्जियां उड़ाई। उन्होंने कहा- "मि० चचिल के भाषण में बुद्धिमत्ता नहीं झलकती। हरएक व्यक्ति यह जानता है कि हमने भारतीयों को जो शिक्षा दी है, उन्हें जो राजनीतिक साहित्य-एडमंड बर्क के भाषण, मेकॉले के इतिहास, जॉन मार्ले के राजनीतिक प्रबंध आदि-दिया है, उससे भारतीयों में जातीय, धार्मिक और भाषा-संबंधी भेद-भाव होते हुए भी, राजनीतिक जागृति उत्पन्न हो गई है, और वे यह जान गए हैं कि वे उस आत्मसम्मान की रक्षा के लिये ही, जो हमारी शिक्षा के कारण उनमें उत्पन्न हो गया है, अधिक शासना- धिकार मांगने के लिये बाध्य हुए हैं। ऐसे समय में, जैसा कि सदैव होता है, ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो बहुत जल्दी आगे दौड़ लगाना चाहते हैं। मेरी सम्मति से बहिष्कार अनावश्यक है। अभी तक जो राजनीतिक विद्रोह और कानून की अवज्ञा का आंदोलन फैला हुआ है, उसने हमारे स्वराज्य देने के मार्ग में रोड़े अटकाए हैं । परंतु यह सब होते हुए भी एक व्याव- हारिक राजनीतिज्ञ सदैव शांति-पूर्वक अपनी समस्याएँ हल किया करता है। "वे (गोल-सभा के प्रतिनिधि) हमारे साथ राजनीतिक उत्थान के लिये परामर्श करने आए हैं। और भारत के अद्वितीय वाइस- राय, राजनीतिज्ञ की हैसियत से नहीं, बल्कि एक बुद्धिमान्
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