चौदहवाँ अध्याय १८१ प्रकार की नियुक्ति गवर्नर जनरल और उनकी कौंसिल मिल. कर करें। बर्मा-प्रांत को भारत से अलग करने के संबंध में भारत सरकार की राय है कि ऐसा करने में कोई बहुत बड़ी कठिनाई नहीं होगी। सीमा-प्रांत में सुधारों की योजना के लिये सिफारिश की गई है। वहाँ की पिछली अशांति और विद्रोह का उल्लेख करते हुए भारत सरकार यह राय देती है कि सीमा-प्रांत की माँगें यथा- संभव पूरी की जाय। केंद्रीय सरकार के संबंध में ऊपर जो बातें कही गई, उन्हें ही पत्र के पीछे के अंश में विस्तार-पूर्वक सिद्ध किया गया है। बड़ी व्यवस्था-परिषद में अधिक से अधिक दो सौ सदस्य हों। उनमें १५० तो देश के विभिन्न भू-भागों से चुनकर आवेंगे। सात जमींदारी विशेषाधिकार के प्रतिनिधि, पाँच भारतीय व्यवसाय के प्रतिनिधि और शेष ३८ सरकार द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होंगे। सरकार द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों में २६ से अधिक सरकारी सदस्य न होंगे, और शेष में मजदूर, अछूत आदि रहेंगे। १५० प्रतिनिधियों में ८० गैर-मुस्लिम, ३ सिख, १३ योर. पियन हों। कौंसिल ऑफ स्टेट का चुनाव जिस प्रणाली से होता है, सर- कार की राय में वह बुरा नहीं, पर यदि दूसरी (Indirect) प्रणाली का व्यवहार किया जाय, तो उसे कोई आपत्ति न होगी, बशर्ते कि अल्प-संख्यक जातियों के हित में बाधा न पड़े।
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