चौदहवाँ अध्याय भारत-सरकार का खरीता गोल-सभा में पेश होने के लिये अपनी सम्मति के तौर पर भारत-सरकार ने एक खरीता भेजा था। यह खरीता २०८ पृष्ठों में था, और ५० पृष्ठों की इसकी अनुक्रमणिका थी। इस खरीते पर वाइसराय इर्विन, सर विलियम वर्डवुर्ड, सर जॉर्ज रेनी, सर जेम्सक्ररार, सर जॉर्ज शुस्टर, सर एसू० एल० मित्रा, सर झजलेहुसेन, सर जोजेफ भोर के हस्ताक्षर थे। इस खरीते को सभी ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया था। इसमें ब्रिटिश साम्राज्य का विशेष भाग रहते हुए भारत में उत्तरदायित्व पूर्ण स्वराज्य प्राप्ति के साधनों पर प्रकाश डाला गया था। योजना के अनुसार पार्लियामेंट इन ११ बातों के लिये उत्तरदायी होगी, जिनमें हस्तक्षेप का अधिकार धारा-सभा को न होगा- (१) उन मदों का शासन, जिनके लिये सेक्रेटरी ऑफ स्टेट्स जिम्मेदार हैं, (२) बाहरी आक्रमण से भारत की रक्षा करना, (३) साम्राज्य और विदेशों से संबंध रखनेवाली बातें, (४) भारत और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच में उठनेवाली
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