१७० गोल-सभा कारों की आवश्यकता होगी, जो धीरे-धीरे स्वयं छिन जायँगे। व्यवस्था करने के अधिकार एक पार्लियामेंट को दिए जायें, जिसके सदस्य गवर्नर जनरल, एक सीनेट तथा एक प्रतिनिधियों की सभा होगी। केंद्रीय व्यवस्था की पहली सभा को प्रतिनिधि सभा तथा दूसरी को सीनेट कहा जाय । पहली में ३२० तथा दूसरी में १०० सदस्य हों। दोनो सभाओं के सदस्य सब-के-सब निर्वा- चित हों, एक भी नामजद न किया जाय । भारतीय रियासतों के प्रतिनिधियों के लिये दोनो सभाओं में २३ प्रतिशत जगह सुरक्षित कर दी जाय । प्रतिनिधियों की सीटों का परिमाण रियासतों और सरकारी इलाके की मनुष्य-गणना के परिमाण के अनुसार रक्खा जाय। ऐसे व्यक्तियों को सूची बनाने की आज्ञा दी जाय, जो आल इंडिया प्रजा में गिने जाते और जो रियासत तथा सरकारी हल्के, दोनो में ही सम्मिलित समझ जाते हों। इसके अतिरिक्त ऐसी प्रजा की सूची भी बनाई जाय, जो एक ही प्रांत की हो । उत्तरदायी शासन-विधान के अधीन गवर्नर जनरल को अपनी कार्यकारिणी के लिये व्यवस्थापिका सभाओं से सदस्य चुनने होंगे। राय देने का अधिकार शिक्षित तथा धनी व्यक्तियों को होगा। दोनो सभाओं के प्रत्येक सदस्य को ५-६ हजार वार्षिक वेतन तथा सफ़र के पास मुफ्त दिए जायें ।
पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१८८
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।