तेरहवां अध्याय हक, दलित जातियों के प्रतिनिधि मि० अंबेडकर,भारतीय ईसाइयों की ओर से मि० के० टी० पॉल, जमींदारों की ओर के प्रतिनिधि सर पी० सी० मित्र, भारतीय महिलाओं की ओर से बेगमशाह- निवाज, महाराज नवानगर, सर अब्दुलकयूम, सरदार सुलतान अहमद, मि० मोदी सर अकबर हैदरी, सर चिम्मनलाल सीतल- बाद, सर पी० सी० रामास्वामी ऐय्यर आदि के भाषण हुए। अंत में अध्यक्ष मि० रामजे मैकडानल्ड ने अपनी आखिरी वक्तृता देकर प्रारंभिक बैठक का कार्य समाप्त किया- “मैं इसे अपना कर्तव्य समझता हूँ कि वर्तमान परिस्थिति की जाँच-पड़ताल करूँ। सबसे पहली बात जो किसी के भी दिल में जोर के साथ प्रभावित होती हुई प्रविष्ट होती है, वह यह है कि हम लोग यहां एकत्र हैं। ऐसा अवसर कभी नहीं आया, और निश्चय ही यह प्रथम भारतीय संघ है, जिसमें केवल ब्रिटिश गवर्नमेंट ही नहीं, ब्रिटिश पार्लियामेंट की लॉर्ड तथा कामंस सभा के प्रतिनिधिगण भी उपस्थित हैं ! सवप्रथम आपको जान लेना है कि हम वहाँ तक पहुँच चुके हैं, जहाँ तक हमें पहुँचना चाहिए था। यह एक ऐसा स्थान है, जो उस भविष्य की ओर संकेत करता है, जो भूत से बिल्कुल भिन्न है । आह ! मेरे भारतीय मित्रो, जब मैंने अपने मित्र मि०चिंतामणि को जो कुछ होने जा रहा था, उसके संबंध में लिखा, तो क्या आपको कभी कल्पना भी हुई थी कि ऐसी परिस्थिति इतने अल्प काल में उत्पन्न हो सकती थी? xxx आप लोग नरेशों के ओजस्वी,
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