ग गोल-सभा निर्धनता का साम्राज्य "इंगलैंड में आमदनी पर ५ प्रतिशत टैक्स लगाने से सारे देश में सनसनी फैल जाती और जनता उसका विरोध करने पर तुल जाती है । खूबो यह कि टैक्स ज़मोन की उपज पर नहीं, केवल मुनाफे पर लगाया जाता है। ऐसी दशा में उस देश की क्या स्थिति होगी, जहाँ मुनाफे पर ५ प्रतिशत टैक्स नहीं लगाया जाता, बल्कि उपज पर ७५ प्रतिशत लगाया जाता है ! समय-समय पर लगान का रेट बदलता रहता है, और यह केवल इसलिये कि गवर्नमेंट इन क़र्ज़ से लदे हुए किसानों से जितना अधिक ऐंठ सके, ऐंठे ! लगान में ३० प्रतिशत को वृद्धि करना तो एक साधारण-सी बात है। रजिस्टरों में ऐसे भो उदाहरण मिलते हैं, जहाँ यह लगान-वृद्धि ५०, ७० यहाँ तक कि १०० प्रतिशत तक की गई है। यह एक ऐसी बात है, जिसके कारण भारत में स्थायो रूप से गरीबी और दुर्भिक्ष का साम्राज्य हो गया है। प्रायः यह कहा जाता है कि ब्रिटिश-राज्य में किसानों को पुराने जमाने के राजों से कम टैक्स देना पड़ता है। इस तर्क के कई प्रकार से उत्तर दिए जा सकते हैं, परंतु नोचे ऐसी कुछ संख्याएँ दी जाती हैं, जिनसे यह बात बिलकुल स्पष्ट हो जाती है। "जब बंबई-प्रांत सन् १८१७ में ब्रिटिश राज्य में सम्मिलित किया गया, तब उसके शासकों ने अपने किसानों से केवल ८० लाख रुपया लगान में वसूल किया था। उस समय लगान वसूल करने को यह पद्धति थी कि फसल का, चाहे वह अच्छी हो
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