......... तेरहवां अध्याय उस सरकार में राज्यों और उनकी प्रजा के अधिकारों, हितों और रियायतों को सुरक्षित रक्खा जाय।" जयकर ने कहा-"यह बड़ा महत्त्व-पूर्ण समय है। आज अगर भारत को ओपनिवेशिक स्वराज्य दे दिया जाय, तो बाकी सारी चिल्लाहट अपने आप बंद हो जायगी। परंतु यदि इस समय उसकी मांगों पर ध्यान न दिया गया, तो छ महीने के बाद उसे उतना पा जाने पर हरगिज संतोष न होगा, जितना पा जाने पर आज वह संतुष्ट हो जायगा। विदेशी व्यापारियों के किसी स्वार्थ पर हम हस्तक्षेप न करेंगे। किंतु यह चेतावनी मैं उन्हें दिए देता हूँ कि अभी तक उन्होंने व्यापारिक क्षेत्र पर जो एकाधिपत्य किया है, वह न होगा।" : दूसरे दिन की कार्यवाही दूसरे दिन, १८ तारीख को, सभा की फिर बैठक हुई। लॉर्ड पील के प्रमुख वक्ता थे। लॉर्ड पील लार्ड पील ने व्याख्यान के सिलसिले में कहा- भारत में बढ़ते हुए असहयोग आंदोलन से अँगरेजों के दिलों में अनेक प्रकार की शंकाएँ पैदा हो गई हैं। वाइसराय की १५ जनवरी की घोषणा का यह मतलब नहीं कि भारत को शीघ्र ही औप- निवेशिक स्वराज्य दे दिया जायगा। अँगरेजों को चिंता है कि यदि भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य दिया जायगा, तो भारत भो सब प्राज
पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१७१
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।