बारहवां अध्याय १४४ से देखा, जिससे वे उसका मुख देख सकें, जिसका वे त्याग और अवहेलना कर चुके हैं। उन्होंने जब उसकी ओर दृष्टि- पात किया, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि वे कितने पतित हो गए थे, और उसके उपरांत वे मर गए।" फरवरी, १८७० कविवर स्विनबर्न "मैं तुम्हें और तुम्हारे उन साथियों के लिये, जिन्होंने 'निष्ठुर और अत्याचारी अधिपतियों से संधि कर ली है, स्विनबर्न की बह कविता समर्पित करती हूँ, जो उसने ६० वर्ष पहले उस समय के इटली के नर्म-दलवालों के संबंध में लिखी थी। मैं तुमसे प्रार्थना करती हूँ कि एक क्षण के लिये कपट और पाखंड दूर कर दो । यदि तुममें शक्ति है, तो थोड़ी देर अपने अंतःकरण का मंथन करो, और फिर इसका उत्तर दो कि क्या उपयुक्त कविता में तुम्हारा सच्चा चित्र चित्रित नहीं किया गया है ? याद रक्खो, इटली के नर्म-दलवालों का अब नाम-निशान भी नहीं है, और उनके स्थान में इटली अब एक संगठित और शक्तिशाली राष्ट्र है, जो संसार के शक्तिशाली राष्ट्रों में अपना अस्तित्व रखता है। उस समय को बीते अब ६० वर्ष गए । संसार ने द्रुत गति से अपनी उन्नति की मंजिलें तय की हैं, परंतु तुम अपनी मातृभूमि को कुचलने और ठुकराने- बाले रंगे सियार अब भी ६० वर्ष पहले के इटली के नर्म-दल- बालों का पार्ट खेल रहे हो । यदि तुम अपने रास्ते जाना चाहते हो, तो भले ही जाओ, परंतु तुमसे अधिक समझदार देश-
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