यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बारहवाँ अध्याय प्रधानमंत्री इसके उपरांत सम्राट चले गए। तब महाराज पटियाला ने प्रधान मंत्री मिस्टर मैक्डानल्ड के सभापतित्व ग्रहण करने का प्रस्ताव किया। सर आगाखाँ के समर्थन और सबकी स्वीकृति से प्रधान मंत्री आसनासीन हुए। प्रधान मंत्री ने सम्मेलन की ओर से सम्राट् के प्रति, विनीत भाव से, हार्दिक कृतज्ञता प्रकाशित की। इसके बाद मिस्टर मैक डानल्ड ने कहा-"हमारा कार्य महान् है। हम नवीन इतिहास की उत्पत्ति के समय एकत्र हुए हैं । ब्रिटेन के नरेशों और राजनीतिज्ञों ने समय-समय पर जो यह कहा है कि उसका कर्तव्य भारत को स्वराज्य के लिये तैयार करना है, वह स्पष्ट ही है । यदि कुछ लोग कहते हैं कि यह काम भयानक सुस्ती से हो रहा है, तो हम कहेंगे कि प्रत्येक स्थायी विकास में सुस्ती देख ही पड़ती है। मैं ऐसे लोगों की बात से नहीं चिढ़ता, जो कहते हैं कि मैं अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा नहीं कर रहा, क्योंकि उन्हें पूरा कर रहा हूँ। "हम लोग यहाँ इसलिये इकट्ठे हुए हैं कि एकमत होकर इस बात को मान लेने की कोशिश करें कि भारतवर्ष अब विधानात्मक विकास के एक विशेष शीर्ष-बिंदु पर पहुंच चुका है। उस एकमत होकर मानी हुई हमारी बात को बहुत-से लोग कम बतलावेंगे, बहुत-से लोग उसे अधिक कहेंगे, पर हम साहस-पूर्वक अपने निर्णयों को शिक्षित और अभिज्ञ जनता के सामने रख सकेंगे।