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दसवां अध्याय १३५ "वह योद्धा था, और युद्ध करते हुए काम आया।" गोल-सभा के सभी सदस्य होटल में अपने इस तेजस्वी सह- योगी के अंतिम प्रदर्शन के लिये ससम्मान आए, और सभी की यह सम्मति थी कि भारत की अक्षयं हानि हुई। लॉर्ड पील ने मौलाना शौकतअली को एक पत्र लिखकर गोल-सभा के अँगरेज़ नरम दल की ओर से भेजा था। उसमें लिखा था कि उन्हें स्वयं अपने इस साथी को खो देने का बहुत खेद है। मि० बेन और मि० जॉर्ज लैंसबरी ने भी ऐसे ही पत्र लिखे थे। मि० बेन ने लिखा था कि इंडिया-हाउस आपको इस क्रिया- कर्म-विधान में हर तरह की सहायता देने को तैयार है। गोल- सभा के नरेश-सदस्यों ने अपने मिनिस्टरों और ए० डी० सी० लोगों को समवेदना-प्रदर्शनार्थ होटल भेजा था। मृत्यु-सवाद सुनकर सर तेजबहादुर सप्र अत्यंत मर्माहत हुए, और कहा-"वह मौलाना को ३० वर्ष से जानते हैं। उनमें दैवी शक्ति और व्यक्तित्व था।" श्रीजयकर ने कहा-"उनकी विवे- चना की गोल-सभा में बड़ी आवश्यकता थी। वह भारतीय राज- नीति के एक चमकदार रत्न थे। वह मरकर भारत को हानि दे गए।" सर अकबर हैदरी ने हार्दिक शोक प्रकट किया, और कहा-"कल ही तो उन्होंने अपनी स्कीम मेरे पास भेजी थी, जिसमें हिंदू-मुस्लिम समस्या पर प्रकाश डाला था।" सर सी० “पी० रामास्वामी अय्यर ने कहा-'वह एक बम के गोले थे। उनके विना भारतीय राजनीति में एक खंदक पड़ गई।"