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नवा अध्याय ११६ वाइसराय स्पष्ट रूप से यह कह देंगे कि इस प्रश्न पर विचार करने के लिये वह तैयार नहीं । एक ओर यह अवस्था है, और दूसरी ओर भारत की स्वतंत्र व्यवस्था का प्रश्न है। यदि भारतवर्ष उत्तरदायित्व पूर्ण शासन अथवा इसी प्रकार की किसी अन्य व्यवस्था का निर्माण करने जा रहा है, तो वह अपनी स्वतंत्र इच्छा के आधार पर । भारत अब अधिक समय तक साम्राज्य के अंतर्गत उसका एक अंश न रहकर कामनवेल्थ का समान अधिकारी होने जा रहा है। वह केवल इसी आव- श्यकता और उत्सुकता का अनुभव कर रहा है, इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं है। आप इन सब बातों को अच्छी तरह समझ लीजिए कि जब तक ब्रिटिश सरकार हमारी इस आवश्यकता के सामने सिर नहीं झुकाती, तब तक हमारी यह आजादी की लड़ाई बराबर जारी रहेगी। नमक-कर के संबंध में हमने एक साधारण प्रस्ताव किया था। उसके संबंध में वाइसराय ने जो अपना रुख प्रकट किया है, उससे बड़ा दुःख होता है। यह बात बिल्कुल सत्य है कि शिमला-शिखर पर निवास करनेवाले भारत के शासक खेतों में काम करनेवाले गरीब किसानों और मज- दूरों की विपदाओं और कठिनाइयों का अनुभव नहीं कर सकते। प्रकृति की दी हुई वस्तुओं में नमक एक ऐसी चीज़ है, जिसकी हवा और बाद, गरीबों को सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। इस नमक पर सरकार ने जो अपना एक-मात्र अधिकार जमा रक्खा है, उसके विरोध में निरपराध श्रादमियों ने गत पांच जल के