नवा अध्याय १११ कही गई हैं ! हम लोगों से यह भी कहा जाता है कि यदि भारत के ब्रिटिश साम्राज्य से अलग हो जाने का प्रश्न उठाया जायगा; तो लॉर्ड इरविन साफ़ कह देंगे कि वह इस प्रश्न को मानने और उस पर विचार करने के लिये तैयार नहीं, और महात्मा गांधी यदि न मानेंगे, तो लॉर्ड इरविन महात्माजी के इन विचारों की सेक्रेटरी-आफ्-स्टेट को सूचना दे देंगे। लॉर्ड इरविन केवल कुछ विशेष आर्थिक मामलों की जांच की जाने की बात स्वीकार करते हैं। यह प्रश्न भी एक ऐसा प्रश्न है, जो केवल ब्रिदिश-प्रजा के समस्त अधिकारों को अपनी सीमा के अंतर्गत कर लेता है, और वह बात भी इसी के अंत- र्गत आ जाती है, जो भारतीय ऋण के नाम से हमारे पत्र में लिखी गई है। राजनीतिक कैदियों के छोड़ने के संबंध में जो बात लॉर्ड इरविन ने अपने पत्र में लिखी है, वह अत्यंत उलझनों से भरी हुई और असंतोष-पूर्ण है । निश्चय-पूर्वक यह बतलाने में वह अस- मर्थ हैं कि राजनीतिक कैदी छोड़ दिए जायेंगे। वह इस मामले को स्थानीय अधिकारियों के हाथ में छोड़ देना चाहते हैं । हम स्थानीय अधिकारियों और अफसरों की सहानुभूति तथा दया पर विश्वास नहीं कर सकते । लॉर्ड इरविन के पत्र में इससे अधिक किसी बात का, इन कैदियों के छोड़ने के बारे में, जिक नहीं है। कांग्रेस के लोग बहुत बड़ी तादाद में, राजनीतिक अभि- योगों में, जेलों में भेजे जा चुके हैं। मेरठ के अभियोग में जो
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