गाल-सभा रखने की चेष्टा की है। लॉर्ड इविन ने स्वयं अपने छपे हुए पत्र में लिखा है कि वह यह सब अपनी ओर से कर रहे हैं, कितु जो कुछ वह कर रहे हैं, उससे न तो वह अपने को धोखा देना चाहते हैं, और न अपनी गवर्नमेंट को। संभव है, यह बात हो सके, और इस प्रकार का मार्ग पैदा करने में डॉ० सप्रू और मि० जयकर को सफलता मिले, जो कांग्रेस और सरकार-दोनो को किसी प्रकार का धोखा न दे। "हम समझौते के संबंध में, विना महात्माजी तथा अपने अन्य सहयोगियों से परामर्श किए, कोई भी निश्चित बात कहने में असमर्थ हैं, इसलिये सर तेजबहादुर सप्रू और मि० जयकर की उपस्थित की हुई दलीलों और २३ जुलाई को लिखे हुए महात्मा- जी के नोट पर, जो उन्होंने हमारे लिये भेजा है, बातें करने में हम विवश हैं। महात्माजी ने अपने नोट में जो शर्ते लिखी हैं, उनमें से हम नंबर २ और ३ से किसी प्रकार सहमत हो सकेंगे, किंतु हम इन शर्तों को और भी स्पष्ट करना पसंद करेंगे, और विशेषकर महात्माजी के नंबर १ की बातों पर अपना मत प्रकट करने के पूर्व महात्माजी तथा अन्य सहयोगियों से बातचीत करना चाहेंगे । यहाँ पर यह बता देना आवश्यक है कि हमारा यह पत्र बिल्कुल गुप्त रक्खा जायगा, और केवल गांधीजी तथा उन्हीं लोगों को दिखाया जा सकेगा, जिन्होंने महात्माजी का २३ जुलाई का नोट देखा है।" X x X
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