पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/९४

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इन्सान पैदा हुआ ९ और फिर मै उस संकरी, भूरी सड़क की पट्टी पर चलने लगा । मेरी हिनी तरफ गहरा नीला समुद्र लहरा रहा था । ऐसा मालूम देता था जैसे हस्रो अदृश्य बढ़ई अपने रन्दों से इसे छील रहे हो और इसकी सफेद छोलन , वा से उढकर किनारे पर टकरा रही होगीली , गर्म और सुगन्धित जैसी स्यि नारी की साँस होती है । एक पालदार तुर्की नाव मुखुम की ओर बढ़ी रही थी । इसके पाल सुखुम के इन्जीनियर - जो बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति 1 - के मोटे गालों की तरह फैल रहे थे । वह किसी कारण वश सदैव चुप हो के स्थान पर चुप रोही का उच्चारण करता था । " चुप रहो । शायद तुम समझने हो कि तूम लड सकते हो परन्तु | दो मैकिन्ड मे तुम्हे थाने पहुंचा दंगा । " उसे श्रादमियों को पुलिस थाने की प्रोर घिसटवाने में बड़ा श्रानन्द गता था और अब यह सोचना अच्छा लगता था कि अब तक कत्र में कीटो उसके गरीर की हडियो तक को सा लिया होगा । पैदल चलना कितना प्यारामदेह लग रहा था जैसे हवा में उड़े चले ॥ रहे हो । सुन्दर पिचार , सुग्वद स्मृतियाँ मन मे तरल सङ्गीत उन्पा कर ही थी । मेरी यान्मा मे ये शब्द समुद्र की झागदार सफेट लहरों के समान महरा रहे थे जो ऊपर से चंचल और अपनी अतल गहराई में शान्त होती है । सो को तरह मेरी प्रात्मा में अनन्त शान्ति का साम्राज्य का रहा था । यौवन उन्टर श्राशाएँ मन में लहरा रही थी जैसे रुपहली मदली समुद्र की गहराई । लहराती फिरती है । ____ यह रास्ता समुद्रतट को जाता था और चपर साता हुआ रेतीले फिन्गरे और नजदीक खिमकता जाता था जहाँ लहरे तट को धोरही थीं .। झादियाँ पानो समुद्र की एक झलक देखने को तरस रही थों । वे इसी यातिर सडक के केनारे ग्यटी हिल रही थी मानो उस अनन्त नौले विस्तार को प्रणाम कर ही हों । पहाड़ों की तरफ से हरा पा रही थी । पानी बरसने का भर था । ....... झादियों में एक धीमी कराहट सुनाई दी - एक मनुष्य को कराहट जो सीधी दिल पर चोट करती है ।