पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/६६

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मालमा घा बिलकुल शांत था परन्तु उसके सारे शरीर पर गरम पसीने की धार यह उठीं । उनके बीच में यह पीपा खड़ा था जो मेज का काम देता था । "मैं तुम्हें कोदों से नहीं मार सरना, तुम कहते हो , " पामिली ने घर · घराती अावाज में पूछा और शिकार पर उगलने को त पर पिलो को तरह सपनी पीठ मोदी । "यहां सब बराबर है " तुम भी एक मजदुर हो और मैं भी हूँ ! " प्रच्छा, तो यह बात है ? " " तुम क्या समझते हो ? मुझ पर गुस्से से पागल क्यों हो रहे हो ? क्या तुम समझते हो कि मैं नहीं जानता ? तुम्हीं ने यह शुरु किया था . " पासिली गरजा सौर इतनी तेजी ने अपना हाय धुमाया कि याकोन उमेघना न सका । हाथ टसके सिर पर पड़ा । वह लड़सहाया और थाप के गुस्से से नमतमाए हुए चेहरे को देगगर चिल्ला उठा : " पावभाग ! " उसने उस चेतावनी दी और जैसे ही वाग्निली ने पुकारा हाथ उठाया उसने अपनी मुट्टी तान ली । " मैं तुम्हें बताऊँगा कि सारधान पे रहा जाता है ? " "मान जामो , में कहे देता ! " " महा ! तुम अपने पार को धमका रहे हो ! .. अपने पाप फो ! .." अपने बाप को !.. . " उम छोटीनो मापदी ने टनको टरल- मूर को रोक दिया । यहां अधिक स्थान नहीं था । ये गमक फे चोरों, टल्टे रपे हुए पीपे और पेट सने के कारमाने लगे । पोला पगाधा और पसीने से नहाना मा यासोर प्रपने में पर तो तभी मेदिये तो सदानों में पाग परमा ए, हर कापने काप पे सामने से पो हटा जति कार ने गुम्मे में " ये होरर Ty. पोदा शिया तौर पचागर दुरी रात में पाज विताएरपगळी रोप को सरह होगा :