पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/३७

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मानवा नहीं।" इस पृष्ट व्याख्यान को सुनकर याकोव दिल खोल कर हंसा । मालवा ठस भही शकल को देखकर मुस्कराई । ____ "मैं तुम्हें बताऊँगा कि क्यों, शैतानों ! मैं बोस कोपेक में तुम दोनों की शादी कर दूंगा! तुम करना चाहते हो?" __"ओह, मसखरे ! क्या तुम पादरी हो ?" याकोव ने दांत पीसते हुए पूछा। ""वेवकूफ ! मैंने युग्लिच में एक पादरी के द्वारपाल का काम किया था.......मुझे वीस कोपेक दो!" "मैं शादी करना नहीं चाहता!" याकोव बोना "कोई फिकर की घात नहीं मुझे पैसे दे दो ? मैं तुम्हारे बाप से नहीं कहूंगा कि तुम उसकी प्रेमिका के पीछे भागते फिर रहे हो," अपने सूखे और चटके हुए होठों को चाटकर, जोर देते हुए सर्योझका ने कहा । "अगर तुम उससे कहोगे तो वह तुम्हारा यकीन नहीं करेगा।" "वह करेगा, अगर मैं कह दूंगा तो! . ....और वह हन्टर से तुम्हारी खबर लेगा।" "मैं डरता नहीं !" याकोव बोला "ऐसी हालस में मैं खुद तुम्हारी हन्टरों से खबर लूंगा!" सयोमका ने शान्ति पूर्वक आँखें सिकोड़ते हुए कहा । याकोब बीस कोपेक नहीं देना चाहता था परन्तु उसे पहले से ही सावधान कर दिया गया था कि यह सर्योमका से लड़ाई न मोल ले और उसकी मांगों को स्वीकार करले । यह कभी ज्यादा पैसे नहीं मांगता था परन्तु अगर उसे माँगे हुए पैसे न मिलते वो वह काम करते समय कुछ न कुछ शैतानी कर बैठता था या बिना किसी कारण के अपने शिकार को खूब मारता था । याकोव ने इस चेतावनी को याद कर गहरी साँस लेते हुए जेब में हाथ डाला। "यह ठीक है !" उसके पास रेत पर बैठते हुए सर्योझका ने उसे उकसाते हुए कहा "जो कुछ मैं कहूँ हमेशा उस पर ध्यान दो और फिर तुम एक अक्लमन्द आदमी बन जानोगे । और तुम," वह मालवा की ओर मुड़ कर कहवा गया-"क्या तुम जल्दी ही मुझसे शादी कर रही हो ? जल्दी सय कर लो ! मैं देर तक ठहर नहीं सकता"