२५२ ___ दो मन्हें बच्चों की कहान उदेल कर तुझे पिछली बार की तरह त्यागने को मजबूर कर देंगे, तब ? धर वाह " और उसने उस मनुष्य की तरह अपने कन्धे उचकाए जो अपना मूल समझता है और अपनी राय के ठीक होने के विषय में जिसकी निश्चित धारण होती है । कारका ने अंगड़ाते हुए जम्हाई बी और फाटक के एक कोने में ढे हो गई । __ "तू सिर्फ खामोश रह । अगर सर्दी लगती है तो दाँती मीच कर तर वर्दाश्त कर । सर्दी दूर हो जायेगी । श्राजकब में ही मेरे और तेरे लिए गर कपड़ों का इन्तजाम हो जायेगा । मैं जानता हूँ कि मैं कर लू गा । मैं या चाहता हूँ कि - " और यहीं उसने अपनी उस महिना के हृदय में कल्पना और जिज्ञास उत्पन्न करने के लिए कि वह क्या चाहता है, बात अधूरी छोड़ दी । मगर लड़की तनिक भी जिज्ञासा न दिखा और भी सिकुड़ कर सो गई । जिसे देख कर मिश्का उसे कुछ चिन्तित सा होकर चेतावनी दी • " देखना, कहीं सो मत जाना ! ठन्ड से ठिठुर कर मर जायगी । सुना, कात्का " "डरो मत, नहीं मरूंगी, " दाँत कटकटाते हुए काका बोली । अगर मिश्का न होता तो कात्का सचमुच ठिठुर कर मर गई होती । मगर उस नन्हें मे शैतान ने पक्का इरादा कर लिया था कि वह उस लड़की को बड़े दिन की शाम को पुरामा जैसा कोई भी काम करने से रोकेगा । " खड़ी हो । लेटने पर तो और भी ज्यादा ठन्ड लगती है । जब हम खड़े रहते है तो लम्बे चौड़े दिखाई पड़ते हैं और तब उन्ट को हमें पकड़ने में बड़ी कठिनाई होती है । लम्ये चौरे प्राणो ठन्द के दांत खट्टे कर देते है । मिसाल के लिए शोदा को ही ले लो । चे कभी ठिठुर कर नहीं मरते । श्रादमी घोदा मे छोटे होते हैं इमलिए हमेशा ठिठुर कर मरते रहते है । मैं कहता हूँ , ससी हो जा । जय हमें पूरा एक रूवल मिल जायेगा तब म मममेंगे कि माज का दिन अच्छा फटा । "
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