२०० आवारा प्रमी कहा " तुम लोग हमेशा शिकायत करते रहते हो कि यह बुरा है, वह बुरा है, लेकिन क्यों ? हरेक चीज वैसी ही है जैसी कि उसे होना चाहिये । तुम्हारा स्वभाव श्रादमियों का सा नहीं है, उसमें एकता का अभाव है । " जब वह मेरी आलोचना कर रहा था मैंने उसकी ओर देखा और सोचने लगा : " इस लड़के में कितना उत्साह है । एक मनुष्य जो इतनी सुन्दर भावनाएँ रखता है इस जीवन में अज्ञात रह कर नहीं मर सकता । " लेकिन वह ठपदेश देते देते श्रव थक गया था । उसने अपना चाकू उठाया और चिदियों को परेशान करने के लिए प्लेट पर रगड़ने लगा । तुरन्त ही वह कमरा उन चिड़ियों की सुरीली आवाज से भर उठा । "इससे ही ये घोलने लगती हैं । " अपने से बहुत प्रसन्न होते हुए शाश्का ने कहा । फिर चाकू को नीचे रख कर उसने अपने लाल बालों में उँगलियाँ फेरी और ऊँचे स्वर में सोचने लगा : ____ नहीं लिजोच्का मेरे साथ विवाह नहीं करेगी । यह सोचना हो । व्ययं है । लेकिन कौन जानता है ? सम्भव है वह मुझे प्रेम करने लगे । मैं ___ उसके प्रेम में पागल हो रहा हूँ ।" " लेकिन जीना के विषय में तुम्हारा क्या ख्यान है ? " " श्रोह । जिम्का बहुत सीधी है । लिजोका...... वह बहुत तेज है । " शारका ने बताया । वह एक अनाय पितृहीन युवक था । सात वर्ष की अवस्था में ही यह एक फल येचने वाले के यहाँ काम करने लगा या फिर उसने एक शीशे का काम करने वाले के यहाँ नौकरी की । दो वर्ष तक उसने एक थाटे की मित में मजदूर का काम किया । वह मिल एक सेठ की थी । और भय एक माल से ऊपर हो गया । वह एक प्रकाशक के यहाँ कम्पोजीटर का काम कर रहा है । उसे समाचार पत्रों का काम बहुत अच्छा लगता था । पिना पूरी तरह ध्यान दिए ही यह अपने अवकाश के समय में लिखने पढ़ने
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