पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१७५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१७८ बुढ़िया इज़रगिल - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -- लिए हुए था , मुझ से मिलने पाया । उसने वह थला लेकर उसका सारा सामान मेरे सिर पर उडेल दिया । मेरे सिर पर चोट पहुंचाते हुए सोने के सिक्के नीचे गिरने लगे । परन्तु उनके फर्श पर टकराने की झनकार ने मेरे मन को प्रसन्नता से भर दिया । इतने पर भी मैंने उसे, खानी वापस लौटा दिया । इसका चेहरा मोटा और गीला वया पेट एक बड़े तकिए की तरह था । वह एक तन्दुरुस्त सुअर के समान था । हाँ , मैंने उसे भगा दिया , यद्यपि उसने मुझे बताया कि उसने अपनी जमीन, घर , घोड़े आदि सब कुछ इसलिए बेच दिया जिससे वह मुझे सोने से नहला सके । उस समय में घावों से भरे हुए चेहरे वाले एक सज्जन पुरुष ले प्रेम कर रही थी । उसके चेहरे पर घाव के प्राढ़े मिरछेनिशान थे जिन्हें तुर्कों ने बनाया था जिनसे वह अभी कुछ दिन पहले यूनानियों की ओर से लड़ा था । वह एक बहादुर मनुप्य था । यह जाति का पोल था फिर उसे यूनानियों की ओर से लड़ने की क्या पढ़ी थी । लेकिन वह उन्हें दुरमन से लड़ने में मदद करने के लिए गया । उसके सह पर कोडे मारे गए थे जिससे उसकी एक प्राख फूट गई थी । वाँए हाय की दो उँगलियाँ भी गायब थीं • • • पोल होते हुए भी उसे यूनानियों के लिए चिन्तित होने की क्या पढ़ी थी ? इसका कारण यह था कि उसे वीरता के कार्य अच्छे लगते थे और को श्रादमी रम भादत का होता है वह ऐसे काम करने के मौके हद ही लेता है । और घे लोग जिन्हें ऐसे काम करने का अवसर नहीं मिलता चे या वो थालसी होते है या कायर धीर या वे यह नहीं जानते कि जिन्दगी किसे कहते है क्योंकि गर यादमी जिन्दगी का असली मतलय समझते होते तो वे सब पनी मृत्यु के उपरान्त इसको एक छाया छोड जाना चाहते । सोर फिर नोरन , मिना कोई स्मृति चिन्ह होड़े, उन्हें इस प्रकार न खा जाता । श्रोह वह वा निगानों वाला प्रादमी यान्तर में अन्दा श्रादमी था । वह कोई भी अच्दा मकाने के लिए दुनिया के किसी भी कोने में जाने को तैयार रहता था । मेरा पाल ६ तुम्हारे प्रदमियों ने , बगायत के समय उसे मार डाला । तुम नगयारी में श्यों लदे ठीक है, ठीक है, कुछ मत कहो । "