पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१२८

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१३० मोढ्वीया की लड़की - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - ___ कहीं दूर वागों में से शहर की औरत फेन्का लुकेवित्सा की गाने की कर्कश आवाज पा रही थी । वह उन्नाव से भरी हुई सिसकती अावाज में गा रही थी . "मेरा प्रियतम एक छोटी सी नाव में बैठ कर वोल्गा में यात्रा कर ___ गया । वह गया और तूफान में फंस कर डूब गया " ___ कभी कभी ये बातें भयंकर रूप धारण कर लेती थीं । दाशा चीखती , गुम्से से उसका गला रुंध जाता । हाथों को इधर उधर भटकारती जिससे गन्दे व्लाउज के नीचे उसके बड़े बड़े स्तन हिलने लगते जिन्हें देख कर घृणा होती । उसका यह रूप देख कर पावेल का जी मिचलाने लगता और वह भद्दी गालियों को इस बौछार को अपनी स्वामोशी से दूर कर ताज्जुब में भर कर सोचता. "यह कैसे हुआ कि मैं इस औरत के इस रूप को पहले नहीं देख सका " और फिर , एक ऐसी ही घटना के बाद , उसके जीवन में वह अवस्था आ गई जब उसके हृदय में दुविधा और अविश्वास के भाव उत्पन्न होने लगे । इन विचारों की पीदा से वह एक साल से व्याकुल हो रहा था । इस स्थिति से उसे लज्जा प्रावी परन्तु वह उसे सुलझाने में असमर्थ था । एक शनिवार को वह वहुत थोड़े पैसे लेकर घर लौटा जिसे देखकर उसकी स्त्री ने भयकर रूप धारण कर लिया । वह उन पेमी को जमीन पर फेंक कर पावेल पर बरस पड़ी । इससे उत्तेजित होकर उसने दृढ़ और कठोर बागान में कहा था प्रपना मुंह बन्द कर " उसकी स्त्री उस दराजे को ओर धकेलती हुई जानवर की तरह चोरी "निकल जात्रो, निसारी की के । यह मेरे बाप का घर है --मेरा घर । नुम निटल्वे श्रादमी हो , तुम्हारी जगह जेल में है,वही तुम्हारे लिये ठीक जगह निस्ल जायो " ar - गुन्म का कारण समझ गया । यह गोभी का अचार डालने