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गोरा

गोग माल का कम से कम कुछ हिस्सा मुमकिन है कि तुम्हारे घर में लौट आये। उघर ऐसा करने से शांति भङ्ग का भी खटका नहीं रहता । अगर बिचार कर देखो, तो इसी को असल पेट्रियाटिज्म ( देशभक्ति ) कहते हैं। किन्तु मेरे भैया साहब ( गोरा ) चिढ़ते हैं । यह जब से सनातन हिन्दू धर्म को मानने लगे हैं, तब से मुझे दादा ( बड़ा भाई) कहकर बहुत नानते है । इनके सामने आज मैंने जो कुछ कहा है, वह ठीक बड़े भाई की सी बात नहीं हुई । लेकिन करूँ क्या, भैया झूठ बात के सम्बन्ध में भी तो सत्य ही बोलना होगा। विनय, तो फिर वह लेख मुझे चाहिए। अच्छा ठहरो, मेरे पास उसके नोट लिखे हुए हैं, उन्हे ले आऊँ। यह कह कर तमाखू पीते पीते महिम वहाँ से चले गये। गोरा ने विनय से कहा--विनय, तुम दादा के कमरे में जाकर वहाँ उन्हें थोड़ा रोक रक्खो, मैं तब तक लिख डालूँ । फ. नं. ३