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गोरा

गोरा [ ३१३ पाबू, आपका मन किसी कारणसे उत्तेजित हो उठा है। इसलिए अभी इस सम्बन्धमें आपके साथ वार्तालान करने से अापके प्रति अन्याय करना होगा। हारान बाबू ने सिर उठाकर कहा-मैं किसी बातके जोशमें आकर कोई बात नहीं कह बैठता । मैं जो कहता हूं, उस सम्बन्धमें मुझे बोलने का पूर्ण अधिकार है । उसके लिए आप चिन्ता न करें । मैं आपमे जो कह रहा हूँ, वह मैं व्यक्तिगत भावसे नहीं कहना ! मैं ब्राह्म-समाजकी ओरने कहता हूं। न कहना अन्याय होगा, यह समझकर ही मैं यह कहता हूँ कि यदि बार आग्य मूदकर न चलने तो विनय बाव के साथ जो! ललिता अकेली चली आई, इस एक घटनाम ही श्राप समझ जाते कि आपका यह परिवार ब्राह्म-समाजके लङ्करको तोड़कर वह जानेका उपक्रम कर रहा है। यह केवल आपके ही अनुताप का कारण न होगा, इससे सारे ब्राह्म समाज की अप्रितिष्ठा होगी। परेश बावने कहा-किसोका कोई बाहरी व्यवहार देखकर ही निन्दा करता है, किन्तु विचार करते समय भीतर की बात देखना होती है केवल क्रिसी बनाने ननुको दोषी मत बनाइ : हारान बाबू ने कहा -~वह चना कुछ सी-वैसी बना नहीं है : आप इस घटनाकी बात सोचकर ही देखिए; श्रार ऐने बैन लगाको अपने घरमें श्रा-नीय भावमे ग्रहण करते हैं जो आपके घरके लेके. अपने समाजसे दूर ले जाना चाहते है दूर ले हो तो भगाये, त्या यह अापको सूझता है. परेश बाबू ने कुछ रुष्ट होकर कहा-आपी नूझ. विलक्षण है। आपके साथ मेरा मन कैसे मिलेगा? हारान बाबू -सही है । नहीं मिलेगा । किन्तु मैं तुचरिताको ही नाही मानता हूँ । वही सच सच कहे, कुछ दिन ललिनाके साथ विनयका जो सम्बन्ध हुआ है वह क्या केवल बाहरी सम्बन्ध है ? क्या इस सम्बन्धमें आन्तरिक भाव नहीं पाया जाता ? तुचरिता! तुम कहाँ चली ? तुम्हारे