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गोरा

२४ ] गोरा साथ इतना न खेलो--उसमें केवल समय ही नष्ट होता है, कुछ फल नहीं होता। विनय--तुममें यही तो दोष है कि तुम पृ/की किसी चीजकी और कभी अच्छी तरह नहीं देखते । इसीसे जो तुम्हें नजर नहीं आता उसीको दुम कल्पना कहकर उड़ा लेना चाहते हो। किन्तु मैं तुमसे कहता हूं कि मैंने कितने ही बार देखा है कि माँ ने जैसे न जाने किसके लिए इतनी चिन्ता हृदयमें रख छोड़ी है, जैसे कोई बात ऐसी है जिसे वह ठीक मेलसे नहीं मिला पाती। इसी कारण उनको गृहस्थीके भीतर एक प्रकारका दुःख पीड़ा पहुँचाता है । गोरा, तुम उसकी बात को जरा कान लगाकर ध्यान देकर मुनो। गोर-कान लगा कर और ध्यान देकर जितना सुना जा सकता है, आना मैं सुना करता हूँ ! उसने अधिक सुननेकी चेष्टा करनेले गलत सुननेको संभावना है, इसीलिये मैं उसकी चेष्टा नहीं करता ।