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गोरा

२२० गोरा विनयको नहीं हुई । पूर्व सिरके ऊपरसे पश्चिमकी और जब ढल पड़े, तब एक गाड़ी टीक उसके सामने आकर रुकी । विनयने मुह उठाकर देखा, सुधीर और नुचरिता, दोनों गाड़ीसे उतर कर उसके पास आ रहे हैं। विनय फोरल उठ खड़ा हुआ ! सुचरिताने पास आकर लेहाई स्वरसे कहा--विनय बाबू आइए ! विनयको एकाएक होश हुआ कि इस दृश्यको रात्तेके लोग तमाशेकी यह देख रहे है । वह चटपट गाड़ी पर सवार हो गया। रात भर किसी के हमें कोई बात नहीं निकल सकी। अकबंगलमे पहुँच कर विनयने देखा, वहाँ एक खास लड़ाई चल रही है । ललिता बिगड़ी बैटी है-वह किस तरह मैजिस्ट्रटके निमन्त्रण और उत्सवमें शामिल न होगा। वरदासुन्दरी बड़े संकट में पड़ गई हैं। हारान बाबू लालता सरखी वालिकाके इस असंगत विद्रोहको देखकर माधक मार अस्थिर हो उठे हैं। वह बार वार कहते है--बाज कलके. लड़कों और लड़कियों में यह कैसा विकार उपस्थित हो गया है कि वे अदब- कायदा मानना नहीं चाहते । केवल जिस-तिस ऐरे गैरे आदमी के संसर्ग में मन-मानी आलोचना करनेका ही यह फल है ! विनयके आते ही ललिताने कहा--विनय वाबू, मुझे माफ कीजिये। मन आपके निकट भारी अपराध किया है। आप उस समय जो कहते थे, उस तब मैं कुछ भी नहीं समझ सकी । हम लोग बाहरकी हालत कुछ भी नहीं जानतीं, इससे हमारे समझने में इतनी और ऐसी भूल हो जाती है ! हागन बाबू कहते हैं, मारतमें मैजिस्ट्रटका यह शासन विधाता का विधान है। मैं कहता हूँ अगर यह बात सच है, तो इस शासनको मन-वाणी काया से अमिशाप देनेकी इच्छा जगा देना भी उसी विधाताका ही विधान है! हारान बाबू कोद्ध होकर कहने लगे-ललिता तुम... ललिता हारान बाबूकी ओर घूम कर खड़ी होगई, और बोली - चुप रहिए साहब ! आप से मैं कुछ नहीं कहती। -विनय बाबू आप किसीके