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गोरा

२१८ : गोरा धर्म नहीं है कोई धारणा नहीं है, उनके नुबस दायित्व हीन उन्मत्तमलाप सुनकर नुम लोगों का सिर फिर जाता है! इतना कहकर हारान बाबू ने कल शाम को गोरा ने मजिस्ट्रेटकी मुला- कात और नजिन्डेके साथ अपनी बात चीत का विवरण उन्होंने कह सुनाया : चरवीरपुर का हाल विनय मोनालून न था; सय नुनकर वह शङ्कित हो उठा। उनने समझ लिया कि नैजिस्ट्रेट गोगको सहज नमा या रिहा नहीं करेगा। हारानने जिस मतलबसे बह हाल कहा, वह बिल्कुल व्यर्थ हो गया । कह गोगके साथ अपनी मुलाकात होने के बारे में अब तक एक दम चुर थे, उनके भीतर जो क्षुद्रता थी, उसने सुचरिताको चोट पहुँचाई, और हासनावको हर एक बातमे गोरके प्रति जो एक व्यक्तिगत ईषा प्रकट हुई, उसने गोरा इन विपत्तिके समय, हागन बाबूक अबर, अस्थित सभी लोगांके मन में एक अश्रद्धाका भाव उत्पन्न कर दिया । सुचरिता अब तक त्रुप थी । कोई-पक शात कहने के लिए उसके चित्तमें आवेग उपस्थित हुआ सही, किन्नु वह अपनेको संभालकर एक पुस्तक खोलकर काँपते हुह हाथ से उसके पन्ने उलटने जगी। ललिताने उद्धत भावसे कहा-मैजिस्ट्रेटके साथ हारान पाका मत चाहे जितना मिलता हो, घोषपुरके मामलों में अवश्य ही गौरमोहन वाबूका महत्त्व प्रकट हुआ है ।